लोकतंत्र जब अपने असली रंग में आता हैं !!
तो नेताओं की औकात का पता चल जाता हैं !!
नेता की बातों में सच्चाई का अभाव होता है !!
झूठ बोलना तो इनका स्वभाव होता हैं !!
सरकार को गरीबों का ख्याल कब आता है !!
चुनाव नजदीक आ जाए तो मुद्दा उछाला जाता है !!
नेता भी क्या खूब ठगते हैं !!
ये तो 5 साल बाद ही दिखते हैं !!
नजर वाले को हिन्दू और मुसलमान दिखता हैं !!
मैं अन्धा हूँ साहब मुझे तो हर शख्स में इंसान दिखता हैं !!
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था !!
उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था !!
गंदी राजनीति का यह भी एक परिणाम हैं !!
बीस रूपये एक बोतल पानी का दाम हैं !!
कीमत तो खूब बढ़ गई दिल्ली में धान की !!
पर विदा ना हो सकी बेटी किसान की !!
रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया !!
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारो !!
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदुस्तान वाला !!
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में !!
राजनीति में अब युवाओं को भी आना चाहिए !!
देश को ईमानदारी का आईना दिखाना चाहिए !!
मेरा झुकना और तेरा खुदा हो जाना !!
अच्छा नही इतना बड़ा हो जाना !!
अपनी अदा हैं सबसे निराली !!
इसलिए राजनीति से दूरी बना ली !!
दोस्ती हो या दुश्मनी सलामी दूर से अच्छी लगती हैं !!
राजनीति में कोई नही सगा ये बात सच्ची लगती हैं !!
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे !!
कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख !!
Motivational Political Shayari
नेताओ के घर आज भी चमक-दमक रहे हैं !!
भारत में कुछ नवजात बच्चे भूखे पल रहे हैं !!
स्वर्ग के सम्राट को जा कर ख़बर कर दे !!
रोज ही आकाश चढ़ते आ रहे हैं वो दिनकर !!
आम आदमी पार्टी को देखो जहाँ-तहाँ देती हैं !!
धरना इनको भी सिखाओ वतन से इश्क करना !!
हमने दुःख के महासिन्धु से सुख का मोती बीना हैं !!
और उदासी के पंजो से हँसने का सुख छीना हैं !!
हम ना समझे थे बात इतनी सी !!
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की !!
बोलता ज्यादा हूँ पर नेता नहीं हूँ !!
बिना मतलब के किसी को कुछ देता नहीं हूँ !!
सरकार को गरीबों का ख्याल कब आता है !!
चुनाव नजदीक आ जाए तो मुद्दा उछाला जाता है !!
ये तेरे मन का खोट है जो तुझे सोने नहीं देता !!
मत दे दोष किसी को वक्त किसी का नहीं होता !!
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Best Political Shayari in Hindi
कीमत तो खूब बढ़ गई दिल्ली में धान की !!
पर विदा ना हो सकी बेटी किसान की !!
वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे !!
कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख !!
दुनिया सलूक करती हैं हलवाई की तरह !!
तुम भी उतारे जाओगे मलाई की तरह !!
टूटी कलम और गैरो से जलन !!
हमे खुद का भाग्य लिखने नही देती !!
रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !!
तितलियों ने मीलो तक रास्ते दिखाए थे !!
हर इक बात को चुप चाप क्यूँ सुना जाए !!
कभी तो हौसला कर के नही कहा जाए !!
अक्सर वही दीये हाथों को जला देते हैं !!
जिसको हम हवा से बचा रहे होते हैं !!
कब्र की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूँ !!
लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता हैं !!
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा हैं !!
तुम ने देखा नही आँखों का समन्दर होना !!
अब जो बाजार में रखे हो तो हैरत क्या हैं !!
जो भी निकलेगा वो पूछेगा ही कीमत क्या हैं !!
सत्तर बरस बिताकर सीखी लोकतंत्र ने बात !!
महामहिम में गुण मत ढूँढो पूछो केवल जात !!
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है !!
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है !!
जो मौत से ना डरता था बच्चों से डर गया !!
एक रात खाली हाथ जब मजदूर घर गया !!
भर दो फिर आग उन बुझते चरागों में !!
जलाकर रख दे उन नफ़रत के अशियार्नो को !!
देखी नही जाती दुनिया से शायर की ख़ुशी !!
कि अक्सर शायरों के दर्द ही मशहूर होते हैं !!
आसमां पे हैं ख़ुदा और जमीं पे हम !!
आज कल वो इस तरफ देखता हैं कम !!
हम बार बार कहते रहे हम हिंदुस्तानी हैं !!
वो बार बार हमें धर्म समझा रहा था !!
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो !!
बहरो का इलाका है जरा जोर से बोलो !!
बिक रहे है बाजारो मे जमीर आजकल !!
कुर्सी ने लोगो को इतना खुदगर्ज बना दिया !!
बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है !!
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है !!
Political Attitude Shayari in Hindi
कल सियासत में भी मोहब्बत थी !!
अब मोहब्बत में भी सियासत है !!
जिनको हम चुनते हैं वो ही हमें धुनते हैं !!
चाहे बीवी हो या नेता दोनों कहाँ सुनते हैं !!
जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो !!
बहरों का इलाका है ज़रा ज़ोर से बोलो !!
ऐसा कोई ईलाका नही जहां अपना कहर !!
नहीं ऐसी कोई मोहल्ला नही जहां अपनी चली नही !!
नेता की बातों में सच्चाई का अभाव होता है !!
झूठ बोलना तो इनका स्वभाव होता हैं !!
नेता भी क्या खूब ठगते हैं !!
ये तो 5 साल बाद ही दिखते हैं !!
ये लोग पांव नही जे़हन से अपाहिज है !!
उधर चलेगे जिधर रहनुमा चलाता है !!
वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा !!
मैं उसके ताज की क़ीमत लगा के लौट आया !!
सरहदों पर बहुत तनाव है क्या !!
कुछ पता करो चुनाव है क्या !!
जो सौदागर डॉलर का हैं !!
वो खेती को क्या आँकेगा !!
धरती रोटी ना देगी तो खाने में सोना फँकेगा !!
जहाँ सच हैं !!
वहाँ पर हम खड़े हैं !!
इसी खातिर आँखों में गड़े हैं !!
बारूद के इक ढेर पे बैठी !!
दुनिया को क्या सूझ रही हैं !!
शोलो से हिफ़ाजत का हुनर पूछ रही हैं !!
भारत के हम परिंदे आसमां हैं !!
हद हमारी जानते हैं चाँद-सूरज !!
जिद हमारी जद हमारी !!
करें तो किस से करें शिकवे !!
करें किस से गिले कहाँ चले थे !!
कहाँ पहुँचे हैं कहाँ पे मिले !!
जमी पे चल न सका !!
आसमान से भी गया !!
कटा के पर को परिंदा उड़ान से भी गया !!
सरकार को गरीबों का ख्याल
कब आता है चुनाव नजदीक आ जाए तो
मुद्दा उछाला जाता है !!
शेर खुद अपनी ताकत से जंगल का !!
राजा कहलाता है जंगल में चुनाव नहीं !!
होते वरना चिड़ीया जानवर भी बादशाह कहलाते !!
मुर्दा लोहे को औजार बनाने वाले !!
अपने आँसू को हथियार बनाने वाले !!
हमको बेकार समझते हैं सियासतदां !!
मगर हम है इस मुल्क की सरकार बनाने वाले !!
चोर बेईमान और भ्रष्ट !!
नेताओं की क्यों करते हो बात !!
लोकतंत्र की ताकत है जनता में !! !!
दिखला दो इनकी औकात !!
मूल जानना बड़ा कठिन हैं !!
नदियों का वीरो का !!
धनुष छोड़कर और गोत्र क्या होता हैं !!
रणधीरो का पाते हैं !!
सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर !!
जाति जाति का शोर मचाते केवल कायर क्रूर !!
मैं अपनी आँख पर चशमाँ चढ़ा कर देखता हूँ !!
हुनर ज़ितना हैं सारा आजमा कर देखता हूँ !!
नजर उतना ही आता हैं की ज़ितना वो दिखाता है !!
मैं छोटा हू मगर हर बार कद अपना बढ़ा कर देखता हूँ !!
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Political Shayari in Hindi
राजा बोला रात है !!
राणी बोली रात है !!
मंत्री बोला रात है !!
संत्री बोला रात है !!
यह सुबह सुबह की बात है !!
सभी एक जैसा ही लिखते हैं !!
बस मतलब बदल जाते हैं !!
सरकारे वैसे ही चलती हैं !!
बस वजीर एआजम बदल जाते हैं !!
मुझको तमीज की सीख देने वाले !!
मैंने तेरे मुँह में कई जुबान देखा है !!
और तू इतना दिखावा भी ना कर !!
अपनी झूठी ईमानदारी का !!
मैंने कुछ कहने से पहले !!
अपने गिरेबां में देखा है !!
सियासत की रंगत में ना डूबो इतना !!
कि वीरों की शहादत भी नजर ना आए !!
जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को !!
गर तुम्हे अपनी जुबां का कहा याद आए !!
न मस्जिद को जानते हैं !!
न शिवालो को जानते हैं !!
जो भूखे पेट हैं !!
वो सिर्फ निवालों को जानते हैं !!
क्या खोया क्या पाया जग में !!
मिलते और बिछुड़ते मग में !!
मुझे किसी से नही शिकायत !!
यद्यपि छला गया पग-पग में !!
सवाल जहर का नहीं था !!
वो तो मैं पी गया !!
तकलीफ लोगों को तब हुई !!
जब मैं फिर भी जी गया !!
हमारी रहनुमाओ में !!
भला इतना गुमां कैसे !!
हमारे जागने से !!
नींद में उनकी खलल कैसे !!
इस नदी की धार में !!
ठंडी हवा तो आती हैं !!
नाव जर्जर ही सही !!
लहरों से टकराती तो हैं !!
ये संग दिलो की दुनिया हैं !!
संभल कर चलना ग़ालिब !!
यहाँ पलको पर बिठाते हैं !!
नजरो से गिराने के लिए !!
हर कोई यहाँ किसी न किसी !!
पार्टी के विचारो का गुलाम हैं !!
इसलिए भारत का ये हाल हैं !!
किसान बेहाल हैं !!
नेता माला-माल हैं !!
जो धरापुत्र का वध कर दे !!
वह राजपुरूष नाकारा हैं !!
जिस धरती पर किसान का रक्त गिरे !!
उसका शासक हत्यारा हैं !!
चंद चेहरे लगेंगे अपने से !!
खुद को पर बेकरार मत करना !!
आखरिश दिल्लगी लगी दिल पर !!
हम न कहते थे प्यार मत करना !!
काजल के पर्वत पर चढ़ना !!
और चढ़ कर पार उतरना !!
बहुत कठिन हैं !!
निष्कलंक रह करके ये सब करना !!
अगर तू दोस्त हैं !!
तो फिर ये खंजर क्यूँ हैं हाथो में !!
अगर दुश्मन हैं !!
तो आख़िर मेरा सिर क्यूँ नही जाता !!
लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि !!
समंदर में रवानी नही हैं !!
हम जब भी उठेंगे तूफ़ान बन कर उठेंगे !!
बस उठने की अभी ठानी नही हैं !!
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ !!
कि तमाशा न बने !!
और तू समझता हैं मुझे !!
तुझसे गिला कुछ भी नही !!
ये वक्त बहुत ही नाजुक हैं !!
हम पर हमले दर हमले हैं !!
दुश्मन का दर्द यही तो हैं !!
हम हर हमले पर संभले हैं !!
पनाहों में जो आया हो !!
तो उस पे वार क्या करना !!
जो दिल हारा हुआ हो !!
उस पे फिर अधिकार क्या करना !!
मोहब्बत का मज़ा डूबने की कश्मकश में हैं !!
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना !!
तूफ़ानो से आँख मिलाओ !!
सैलाबों पर वार करो !!
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो !!
तैर कर दरिया पार करो !!
मुर्दा लोहे को औजार बनाने वाले !!
अपने आँसू को हथियार बनाने वाले !!
हमको बेकार समझते हैं सियासतदां !!
मगर हम है इस मुल्क की सरकार बनाने वाले !!
युद्धों में कभी नहीं हारे !!
हम डरते है छलचंदो से !!
हर बार पराजय पाई है !!
अपने घर के जयचंदो से !!
सियासत की रंगत में ना डूबो इतना !!
कि वीरों की शहादत भी नजर ना आए !!
जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को !!
गर तुम्हे अपनी जुबां का कहा याद आए !!
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Political Shayari
न मस्जिद को जानते हैं !!
न शिवालो को जानते हैं !!
जो भूखे पेट हैं !!
वो सिर्फ निवालों को जानते हैं !!
जो मातृभूमि की जय कहते सकुचाते !!
मजहब को मुल्क से ऊपर बतलाते !!
नमक देश का खाते दुश्मन गुण गाते !!
ऐसे गद्दारों पे कुत्ते भी तो शरमाते !!
बन सहारा बे-सहारो के लिये !!
बन किनारा बे-किनारो के लिये !!
जो जीये अपने लिये तो क्या जीये !!
जी सके तो जी हज़ारो के लिये !!
अब कोई और न धोखा देगा !!
इतनी उम्मीद तो वापस कर दे !!
हम से हर ख़्वाब छीनने वाले !!
हमारी नींद तो वापस कर दे !!
क्या खोया क्या पाया जग में !!
मिलते और बिछुड़ते मग में !!
मुझे किसी से नही शिकायत !!
यद्यपि छला गया पग-पग में !!
बहुत खूब तुम ये !!
सियासत का खेल खेलते हो !!
हो देश भक्त !!
ये बोल बोल के देश लूटते हो !!
बड़ी चालाकी से तुम ने !!
खुद को छुपा रखा है !!
अपने झूठे वादों से !!
लोगों को बेहला रखा है !!
राजनीति का रंग भी बड़ा अजीब होता है !!
वही दुश्मन बनता है जो सबसे करीब होता है !!
सरहदों पर बहुत तनाव है क्या !!
कुछ पता तो करो चुनाव है क्या !!
और खौफ बिखरा है दोनों समतो में !!
तीसरी समत का दबाव है क्या !!
जरूरत पर सब यार होते हैं !!
जरूरत न हो तो पलट कर वार होते हैं !!
चुनाव नजदीक आ रहा हैं बच के रहना !!
क्योंकि ज्यादातर नेता गद्दार होते हैं !!
जनता ने माया को देखा !!
फिर माया का हाथी देखा !!
दोनों की एक ही भाग्य रेखा !!
बस में दोनों के कुछ नहीं !!
बस करते रहो देखी देखा !!
सुना दीदी का है दिल दीवाना !!
बोले बंगाल है उसको दीवाना !!
काम है उसका सबको रुलाना !!
अतः राजनीती का काम दीदी दीदी !!
गुनगुनाते जाना गुनगुनाते जाना !!
केजरीवाल की खांसी से जंग है !!
दिल्ली प्यारी खांसी के संग है !!
क्योंकि दिल्ली में प्रदुषण रंग है !!
यही केजरी के जीतने का ढंग है !!
दोस्ती हो या दुश्मनी !!
सलामी दूर से अच्छी लगती हैं !!
राजनीति में कोई नही सगा !!
ये बात सच्ची लगती हैं !!
ये संग दिलो की दुनिया हैं !!
संभल कर चलना ग़ालिब !!
यहाँ पलको पर बिठाते हैं !!
नजरो से गिराने के लिए !!
हर कोई यहाँ किसी न किसी !!
पार्टी के विचारो का गुलाम हैं !!
इसलिए भारत का ये हाल हैं !!
किसान बेहाल हैं नेता माला माल हैं !!
जो धरापुत्र का वध कर दे !!
वह राजपुरूष नाकारा हैं !!
जिस धरती पर किसान का रक्त !!
गिरे उसका शासक हत्यारा हैं !!
इस बात से सलाम करना मेरी !!
सूरत का अंदाजा वह लोग लगाते हें !!
जो मुझे सलाम ठोकते हैं !!
जिन्हें तू सलाम करता है !!
चोर बेईमान और भ्रष्ट !!
नेताओं की क्यों करते हो बात !!
लोकतंत्र की ताकत है !!
जनता में दिखला दो इनकी औकात !!
कैसी है ये ज़िम्मेदारी सांई की !!
जनता जान गयी मक्कारी सांई की !!
देश को लूटने वाले लूट के ले जाएं !!
मान गये हम चौकीदारी सांई की !!
मूल जानना बड़ा कठिन हैं नदियों का वीरो का !!
धनुष छोड़कर और गोत्र क्या होता हैं रणधीरो का !!
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर !!
जाति-जाति का शोर मचाते केवल कायर क्रूर !!
नजर वाले को हिन्दू !!
और मुसलमान दिखता हैं !!
मैं अन्धा हूँ साहब मुझे तो हर !!
शख्स में इंसान दिखता हैं !!
राजनीति का काम समाज के लिए !!
विकास और उन्नति के लिए नीतियां बनाना है !!
लेकिन नेताओं ने राजनीति को !!
राज करने की नीति तक सीमित कर दिया है !!
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इन नेताओं से कह दो !!
अगर सियासत करनी है !!
तो इमानदारी से करो !!
जनता ने जो जिम्मेवारी सौंपी है !!
उस तुम जिम्मेवारी से करो !!
राजनीतिक संघर्ष चुनाव तक रह गया !!
विकास का मुद्दा बहाव में बह गया !!
हर बार सियासत ने जुल्म किये !!
ग़रीब हर बार जुल्म दबाव में सह गया !!
कभी भाई को भाई से अलग करती है !!
तो कभी बाप को बेटे से जुदा करती है !!
जितनी मर्ज़ी वफादारी निभा लो मगर !!
सियासत कहां किसी से वफ़ा करती है !!
राजनीति की सियासत के कई रंग देखे !!
रिश्तों पर हावी होते राजनीति के ढंग देखे !!
राजनीति के खेल में कोई सगा नहीं !!
बाप बेटे एक दूसरे के काटते पतंग देखे !!
राजनीति का रिश्तों में उतना ही दखल हो !!
जितना कि राजनीति रिश्तों में दरार ना बनें !!
चूस रहे जो ग़रीबों के खून पसीने की कमाई !!
ऐसे दमनकारीयों की कभी सरकार ना बने !!
राजनीति को विरासत समझ बैठे हैं !!
भ्रष्टाचार को सियासत समझ बैठे हैं !!
सत्ता के नशे में इतने चूर हैं ये नेता कि !!
देश को अपनी रियासत समझ बैठे हैं !!
चुनाव प्रचार में ख़ूब वादे करते हैं !!
समाज सेवा की खातिर ज़ाहिर इरादे करते हैं !!
बदल जाते हैं चुनाव के बाद !!
राजनेता राजनिति और चापलूसी प्यादे करते हैं !!
जब से झूठे नेता आ गए हैं प्रभाव में !!
जनता परेशान है सुविधा के अभाव में !!
सियासत के जो बन बैठे हैं सरोकार !!
उन्हें मज़ा चखाना इस बार चुनाव में !!
राजनीति का लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना रह गया !!
झूठ को सच सच को झूठ दिखाना रह गया !!
समाज सेवा के लिए सियासत में आना !!
आकर नेता भरता ख़ुद का ही ख़ज़ाना रह गया !!