786+ Best Jumma Mubarak Shayari In Hindi | जुम्मा मुबारक शायरी

मेरी खाली झोली में दुआ के अल्फाज़ डाल दो !!
क्या पता तुम्हारे होठ हिले और मेरी तकदीर संवर जाए !!

काश उन को भी याद आऊ मैं जुम्मे की दुवाओ में !!
जो अक्सर मुझसे कहते है दुवाओ मैं याद रखना !!

ईमान में ही कोई कसर होता हैं !!
वरना दुआओं का खूब असर होता है !!

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दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो !!
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों !!

नहीं मायूस मैं अपने खुदा से !!
बदल जाती है किस्मत दुआ से !!

या रब्बा उनको सदा लाजवाब रखना !!
मैं उनसे दूर हूं उनका ख्याल रखना !!

क्या यह जुर्म या तकलीफ की बात नही !!
की ईद आ गई और उसकी कोई खबर नही !!

तू कुबूल कर मुझे बस इतनी सी वफा चाहता हूं !!
इस जुम्मे को तुझसे मैं निकाह करना चाहता हूं !!

मेरी खाली झोली में दुआ के अल्फाज़ डाल दो !!
क्या पता तुम्हारे होठ हिले और मेरी तकदीर संवर जाए !! जुम्मा मुबारक !!

मेरी टूटी फूटी इबादतों को ऐसे कबूल कर या रब !!
के जब सजदे में झुकूँ तो मुझसे जुड़े सब रिश्तों की ज़िंदगी संवर जाए !!

नहीं मायूस मैं अपने खुदा से !!
बदल जाती है किस्मत दुआ से !!

तुझे तो पता है मैं कितना बुरा हूँ !!
तू ऐबों को छुपा मेरे मौला !!

खुदा की रहमत सबपर बरसे !!
दो वक्त की रोटी की लिए कोई ना तरसे !!

ख़ुदा की रहमत सभी पर बरसे !!
दो वक्त की रोटी के लिए कोई न तरसे !!

जो किस्मत में न हो वोह रोने से नहीं मिलता !!
मगर दुआ से मिल जाता है !!

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Jumma Mubarak Shayari In Hindi

जीवन में कुछ अच्छे कर्म भी कर लिया करो !!
गरीबों के लिए भी इक दुआ पढ़ लिया करो !!

ख़ुदा के सजदें में जब मैं सिर को झुकाता हूँ !!
मैं अपने सारे दुःख-दर्दों का हल पाता हूँ !!

नहीं मायूस मैं अपने खुदा से !!
बदल जाती है किस्मत दुआ से !!

सुकून और प्यार जिन्दगी को खूबसूरत बनाती हैं !!
अल्लाह पाक आप की जिन्दगी में किसी एक की भी कमी न करें !!

ख़ुदा के सजदें में जब मैं सिर को झुकाता हूँ !!
मैं अपने सारे दुःख-दर्दों का हल पाता हूँ !!

ख़ुदा की रहमत सभी पर बरसे !!
दो वक्त की रोटी के लिए कोई न तरसे !!

जीवन में कुछ अच्छे कर्म भी कर लिया करो !!
गरीबों के लिए भी इक दुआ पढ़ लिया करो !!

इब्तदा हो कुछ इस तरह से तेरे नाम से या अल्लाह !!
के दिन गुज़र जाए तेरे रहमतों के नुजूल से !!

जब तुम्हें यकीन हो के खुदा हमेशा तुम्हारे साथ है तो !!
तो फिर कोई फ़र्क नहीं पड़ता के कौन तुम्हारे खिलाफ है !!

क्यूँ मन्नतें माँगता है औरों के दरबार से !!
वो कौनसा काम है जो होता नहीं तेरे परवरदिगार से !!

दुआ माँग लिया करो दवा से पहले !!
कोई नही देता शिफ़ा खुदा से पहले !!

खुदा की रहमत सबपर बरसे !!
दो वक्त की रोटी की लिए कोई ना तरसे !!

ऐ अल्लाह हम वो न कर सकें जो तू चाहता है !!
हमें तौफीक अता कर के हम वो ना करें जो तू नहीं चाहता !!

रब से जब भी मांगो रब को ही मांगो !!
जब रब तुम्हारा होगा तो सब तुम्हारा होगा !!

दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो !!
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों !!

Jumma Mubarak Shayari

अल्लाह एक मौका हमको भी दे सफर-ए-मक्का का !!
सुना हैं तेरे घर और जन्नत में कोई फर्क नहीं जुम्मा मुबारक !!

रब से जब भी मांगो रब को ही मांगो !!
जब रब तुम्हारा होगा तो सब तुम्हारा होगा !!

इबादत वो है जहां किसी का ज़िक्र ना हो !!
सिर्फ उस उपरवाले की रहमतों का शुक्र हो !!

नहीं मायूस मैं अपने खुदा से !!
बदल जाती है किस्मत दुआ से !!

अपने रब से मांगो की ना वो !!
औकात देखता है ना ज़ात !!

दिलों के झूकने से होते है आबाद घर खुदा के !!
सिर्फ सजदों से नहीं सजती वीरान मस्जोदें कभी !!

ईमान में ही कोई कसर होता हैं !!
वरना दुआओं का खूब असर होता हैं !!

जीवन में कुछ अच्छे कर्म भी कर लिया करो !!
गरीबों के लिए भी इक दुआ पढ़ लिया करो !!

दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो !!
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों !!

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ !!
कि ख़ुदा नूर भी बरसाता है आजमाइशों के बाद !!

काश उनको भी याद आऊ मैं जुम्मा की दुआओं में !!
जो अक्सर मुझसे कहते है दुआओं में याद रखना !!

मेरी खाली झोली में दुआ के अल्फाज़ डाल दो !!
क्या पता तुम्हारे होठ हिले और मेरी तकदीर संवर जाए !!

अल्लाह सारी ख्वाहिशें मुक्कमल किया करें !!
जो खुदा की सजदे में सिर झुकाया करें !!

ऐ अल्लाह हमें अता कर दे वो माफ़ी !!
जिस के बाद कभी गुनाह न हो हम से !!

तू अगर मुझे नवाजता है तो ये तेरा करम है या रब !!
वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नहीं !!

जुम्मा मुबारक शायरी

दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो !!
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों !!

अस्सलाम वालेकुम हर किसी क लिए दुआ किया करो !!
किया पता किसी की किस्मत तुम्हारी दुआ का इंतज़ार कर रही हो !!

बस यही गुजारिश है तुम से धन बरसे या !!
न बरसे पर रोटी या प्यार को कोई न तरसे !!

चार चीज़ों को खूब संभाल क रखो नमाज़ में दिल को !!
तन्हाई में सोच को महफ़िल में जुबां को रास्ते में नीगाह को !!

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ !!
कि ख़ुदा नूर भी बरसाता है आजमाइशों के बाद !!

सुकून और प्यार ये चार चीज़ें ज़िन्दगी मैं ख़ूबसूरत बनती हैं !!
अल्लाह पाक आप की ज़िन्दगी मैं किसी एक की भी कमी न करे !!

तुम अल्लाह को याद रखों अल्लाह तुम्हे याद रखेगा.
हर किसी के लिए दुआ किया करों !!

पलकों पे अपनी बिताया है तुम्हे !!
बढ़ी दुआओ के बाद पाया है तुम्हे !!
आसानी से नहीं मिले हो तुम हमें !!
दिल्ली के चिड़ियाघर से चुराया है तुम्हें !!

या अल्लह आज जुमा की नमाज़ के बाद !!
जितने भी हाथ तेरी बारगाह में दुआ के लिये उठे है !!
सब की दुवा कुबूल फरमा !!

या रब उनको सदा लाज़वाब रखना !!
मैं उनसे दूर हूँ उनका ख्याल रखना !!
मेरे जब भी हाथ उठे यही दुआ निकली !!
उन के गिर्द हमेशा खुशियों का जाल रखना !!

या अल्लह आज जुमा की नमाज़ के !!
बाद जितने भी हाथ तेरी बारगाह में !!
दुआ के लिये उठे है सब की दुवा कुबूल फरमा !!

बाह रही अजीब हैं नादान-ए-दिल की खवाइश या !!
रब अमल कुछ नहीं और दिल तलबगार हैं !!
जन्नत का! जुम्मा मुबारक !!

दुआ माँग लिया करो दवा से पहले !!
कोई नही देता शिफ़ा खुदा से पहले.
शिफ़ा सेहत स्वास्थ आरोग्य !!

वो चमक चाँद में है न सितारों में हैं !!
जो मदीने के दिलकश नजारों में हैं !!
बेजुबान पत्थरों को भी बख्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में हैं !!

अब रब राज़ी होने लगता है !!
तो बन्दे को अपने अएबोन का पता चलने शुरू हो जाता है !!
और ये उसकी रहमत की पहली निशानी होती है !!

Jumma mubarak status

पूरा जीवन बीत जाएँ ख़ुदा की बंदगी में !!
पाँचों वक्त का नमाज अदा करू जिंदगी में.
जुम्मा मुबारक हो !!

साडी तारीफ़ें उस खुदा के लिए है !!
जो बोले वाले का कलाम को सुन्नता है !!
और खामोश रहने वाले के दिल की बात जानता है !!

कया पता किसी के नशीब में !!
आपकी दुआ का इंतज़ार कर रही हो !!
जुम्मा मुबारक !!

पूरा जीवन बीत जाए ख़ुदा की बंदगी में !!
पाँचों वक्त का नमाज अदा हो इस जिंदगी में !!
जुम्मा मुबारक हो !!

अंधेरों को नूर देता हैं !!
उसका जिक्र सुरूर देता हैं !!
उसके दर पर जो भी मांगता हैं !!
खुदा उसे जरूर देता हैं !!

नमाज़ की तो वो शान है जो रोक देती हैं !!
तवाफ़-ए-काबा को ए इंसान !!
तेरे कामों की क्या औक़ात है !!
जिस के लिए तू नमाज़ को छोड़ देता हैं !!

पूरा जीवन बीत जाएँ ख़ुदा की बंदगी में !!
पाँचों वक्त का नमाज अदा करू जिंदगी में !!
जुम्मा मुबारक हो !!

अंधेरों को नूर देता हैं !!
उसका जिक्र सुरूर देता हैं !!
उसके दर पर जो भी मांगता हैं !!
खुदा उसे जरूर देता हैं.

वो चमक चाँद में है न सितारों में हैं !!
जो मदीने के दिलकश नजारों में हैं !!
बेजुबान पत्थरों को भी बख्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में हैं !!

ए खुदा बस यही गुजारीश है तुम से !!
धन बरसे या ना बरसे पर !!
रोटी या प्यार को कोई ना तरसे !!

वो चमक चाँद में है न सितारों में हैं !!
जो मदीने के दिलकश नज़ारों में है !!
बेज़ुबान पत्थर को भी बक्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में है- जुमा मुबारक !!

इस्लाम जैसा कोई मजहब नहीं !!
नमाज़ जैसी कोई इबादत नहीं !!
और जुमा जैसा कोई दिन नहीं !!

इंसान का मुक़द्दर उतनी बार बदलता है !!
जितनी बार वो अल्लाह से दुआ करता है !!
जुम्मा मुबारक !!

कयामत तक रहे सर मेरा सजदे में या रब !!
के तेरे नेमतों के शुक्र के लिए यह ज़िंदगी काफी नहीं !!
जुमा मुबारक !!

दुआ से इबादत है !! दुआ से बरकत है !!
दुआ से हिफाजत है !!
दुआ से माफी है !!
दुआ से जन्नत है !!
दुआ में याद रखना क्यूंकी !!
दुआ की बहुत जरूरत है- जुमा मुबारक !!

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Alvida jumma mubarak

हवाएं अगर मौसम !!
का रुख बदल सकती है !!
तो दुआएं भी मुसीबत !!
के पल बदल सकती है !!

या अल्लाह मेरी खुशी से ज्यादा तेरी रजा जरूरी है !!
बेबस इंसान का सजदा ही बेबसी का इलाज है !!
जुमा मुबारक !!

ऐ ख़ुदा मौका देना सफर-ए-मक्का का !!
सुना है जन्नत जैसा नजारा है वहाँ का !!
जुम्मा मुबारक !!

या अल्लाह जो बीमार हैं !!
उनको शिफ़ा ए कामिल अता फ़रमा दे !!
जो परेशान हैं उनकी परेशानियों को दूर कर दे !!

इबादत इसलिए मत करो की !!
इबादत का हुक्म है !!
बल्कि इसलिए करो की अल्लाह !!
इबादत के लायक है !!

ऐ लोगों ! जुमा छोड़ने से बाज़ आ जाओ !!
वरना अल्लाह दिलों पर मोहर लगा देगा !!
फिर यकीनन वो गाफिल लोगों से हो जाएंगे !!
जुमा मुबारक !!

नेक नियत से किसी !!
काम का आगाज करो !!
फिर मदद करने के लिए फ़रिश्ते !!

आज होकर बावरा मेरा !!
मन कुछ करने चला है !!
डूब कर किसी के प्रेम !!
मे तन फिर नाचने चला है !!

ए खुदा मेरे यार की मांगी !!
हुई हर दुआ कबूल कर दे !!
अपनी रहमतो से उसकी !!
खुशियो की झोली भर दे. !!

दुआ है इस मुबारक !!
दिन के सजदे में !!
आपकी हर परेशानी !!
और मुसीबते दूर हो जाए !!

लोगो पर नही अपने !!
खुदा पर यकीन है !!
तभी तो इस रमजान !!
मेरी हर दुआ कुबूल है !!

कह दो अल्लाह के !!
सिवा कोई महबूब !!
नही और जुम्मा से !!
प्यारा कोई दिन नही !!

अपने रब से न !!
कभी आप शिकायत करे !!
आज जुम्मा है दिल से !!
नफरत और फरेब को दूर करे !!

मोहब्बत करने वाले ही !!
इस जहान में आबाद रहते है !!
जमाने को गम की !!
कैद से आजाद करते है !!

आज रमजान ने !!
भी खूब रंग सजा रखा है !!
अरे इधर तो आओ यार !!
नाराजगी में क्या रखा है !!

Ramzan shayari

जिंदगी एक ऐसा सफर है !!
जो रब से शुरू होकर !!
रब पर ही खत्म हो जाता है !!

मनवा लेना हर बात आज अपने खुदा से !!
क्योकि आज बड़ा ही प्यारा दिन है !!
जुम्मा भी है और रमजान भी !!

लोग जुम्मा पढ़कर रब से !!
ना जाने क्या-क्या मांगेंगे !!
हम जुम्मा पढ़कर खुदा से सिर्फ !!
तुम्हारी सलामती की दुआ मांगेंगे !!

ए खुदा मौका देना मुझे भी !!
सफर-ऐ- मक्का जाने का !!
सुना है वहां की गई इबादत से !!
नए की झलक दिखाई देती है !!

हर पीड़ा का इलाज !!
नही होता दवा खाने में !!
बहुत से दर्द चले जाते है !!
रब के दर पर सर झुकाने से !!

इस रमजान पर उन !!
लोगो को भी सुकून अदा !!
कर जिनके बुरे हाल !!
आपके सिवा और !!
कोई नही जानता !!

तेरी मोहब्बत का !!
मुझ पर यूं असर हुआ है !!
जुम्मे की नवाज अदा !!
करने के लिए मैंने !!
मस्जिद का दरवाजा छुआ है !!

तबीयत से पढ़ना अल्फाज !!
तेरी किस्मत बदल जाएगी !!
सच्ची याद में रखना उस खुदा को !!
तो जिंदगी की तस्वीर बदल जाएगी !!

अगर रब ने तमाम !!
बाते तकदीर में लिखी होती !!
तो इंसान को इस जमाने में दुआ !!
मांगने की जरूरत ना होती !!

सारे गिले शिकवे भूलाकर हम !!
सबसे इबादत-ऐ-सुकून अदा !!
करते है चलो तबस्सुम सी फज्र !!
में रमजान मुबारक कहते है !!

क्या करूं तारीफ !!
उसकी जो बेमिसाल है !!
मांगे बिना दे देता है सब कुछ !!
ऐसा मेरा खुदा मेहरबान है !!

तेरी शान में मैं क्या कहूं ख्वाजा !!
मेरी भी तकदीर सवार दो !!
अपने दरबार की एक झलक से !!
मेरी जिंदगी में खुशियां भर दो !!

ए खुदा सदा अपनी रहमत साथ !!
रख मेरे सर पर हमेशा मेरे !!
अम्मा और अब्बू का हाथ रख !!

ए खुदा इस रमजान लोगो !!
के दिलो में अमन जगा दे !!
लोगो के दिलो से अहंकार !!
और क्रोध को मिटा दे !!
जुम्मा मुबारक !!

तुम अल्लाह को याद रखों !!
अल्लाह तुम्हे याद रखेगा !!
हर किसी के लिए दुआ किया करों !!
कया पता किसी के नशीब में !!
आपकी दुआ का इंतज़ार कर रही हो !!
जुम्मा मुबारक !!

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ऐ ख़ुदा मौका देना सफर-ए-मक्का का !!
सुना है जन्नत जैसा नजारा है वहाँ का !!
जुम्मा मुबारक !!

अजीब था उनका अलविदा कहना !!
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं !!
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में !!
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीँ !!
जुम्मा मुबारक !!

जीवन में कुछ अच्छे कर्म भी कर लिया करो !!
गरीबों के लिए भी इक दुआ पढ़ लिया करो !!
जुम्मा मुबारक !!

समंदर को उसका किनारा मुबारक !!
चांद को सितारा मुबारक !!
फूलों को उसकी खुश्‍बू मुबारक !!
दिल को उसका दिलदार मुबारक !!
आपको और आपके परिवार को !!
जुम्मा मुबारक !!

ए खुदा मेरे यार की मांगी !!
हुई हर दुआ कबूल कर दे !!
अपनी रहमतो से उसकी !!
खुशियो की झोली भर दे !!
जुम्मा मुबारक !!

ख़ुदा के सजदें में जब मैं सिर को झुकाता हूँ !!
मैं अपने सारे दुःख-दर्दों का हल पाता हूँ !!
जुम्मा मुबारक !!

तुम ख्वाबों में इन पर्दों में आया ना करो !!
हर सुबह जब मुस्कुराकर अलविदा कहना ही है !!
तो यूँ प्यार से हर रात गले लगाया ना करो !!
जुम्मा मुबारक !!

दुआ लफ़्ज़ों से नहीं !!
दिल से होनी चाहिए !!
क्यूंकि खुदा उनकी भी सुनता है !!
जो बोल नहीं सकते !!
जुम्मा मुबारक !!

होती ना गर मक़सुद मुहम्मद की वीलादत !!
आदम को फ़िर ज़मीन पर उतारा नहीं जाता !!
जुम्मा मुबारक !!

इबादत वो है जिसमे ज़रूरतों का ज़िक्र न हो !!
सिर्फ उसकी रेहमतों का शुक्र हो !!
जुम्मा मुबारक !!

मनवा लेना हर बात आज अपने खुदा से !!
क्योकि आज बड़ा ही प्यारा दिन है !!
जुम्मा भी है और रमजान भी !!

इस जुम्मे में आपकी !!
दुआएं हो जाएगी कबूल !!
एक बार खुदा के सजदे !!
में दिल तो लगाओ !!
जुम्मा मुबारक !!

अस्सलाम वालेकुम !!
हर किसी के लिए दुआ किया करो !!
किया पता किसी की किस्मत !!
तुम्हारी दुआ का इंतजार कर रही हो !!
जुम्मा मुबारक !!

तस्वीर-ए-कायनात का अक्स है अल्लाह !!
दिल को जो जगा दे वो एहसास है अल्लाह !!
ऐ बंदे-मोमिन तेरा दिल क्यों उदास है !!
हर पल हर लम्हा तेरे पास है अल्लाह !!
जुम्मा मुबारक !!

तू कुबूल कर मुझे बस !!
इतनी सी वफा चाहता हूं !!
इस जुम्मे को तुझसे मैं !!
निकाह करना चाहता हूं !!
जुम्मा मुबारक !!

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ख़ुदा के सजदें में जब मैं सिर को झुकाता हूँ !!
मैं अपने सारे दुःख-दर्दों का हल पाता हूँ !!
जुम्मा मुबारक !!

मोहब्बत करने वाले ही !!
इस जहान में आबाद रहते है !!
जमाने को गम की !!
कैद से आजाद करते है !!
जुम्मा मुबारक !!

काश उन को भी याद आओ !!
मैं जुम्मे की दुवाओ में जो !!
अक्सर मुझसे कहते है !!
दुवाओ मैं याद रखना !!
जुम्मा मुबारक !!

आज कितना खूबसूरत !!
यह दिन आया है !!
मेरे अपनो के लिए !!
रमजान की दुआ लाया है !!
जुम्मा मुबारक !!

सदा हंसते रहो जैसे हंसते हैं फूल !!
दुनिया के सारे गम तुम्हें जाए भूल !!
चारों तरफ फैलाओ खुशियों के गीत !!
इसी उम्मीद के साथ यार तुम्हें !!

नेक नियत से किसी !!
काम का आगाज करो !!
फिर मदद करने के लिए !!
फ़रिश्ते भी चले आएंगे !!
जुम्मा मुबारक !!

सर झुकाने की खूबसूरती भी !!
क्या कमाल की होती हैं !!
धरती पर सर रखों और !!
दुआ आसमान में कुबूल हो जाती हैं !!
जुम्मा मुबारक !!

वो चमक चांद में है ना सितारों में है !!
जो मदीने के दिलकश नज़ारों में है !!
बेजुबान पत्थरो को भी बख्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में है !!
जुम्मा मुबारक !!

आपके चेहरे पे हंसी सदा रहे !!
मेरा हर लफ्ज आपके लिए दुआ रहे !!
जिंदगी में पाओ खुशी हर कदम पर !!
दूर आपसे दुनिया का हर गम सदा रहे !!
जुम्मा मुबारक !!

नहीं मायूस मैं अपने खुदा से !!
बदल जाती है किस्मत दुआ से !!
जुम्मा मुबारक !!

कितनी जल्दी ये अरमान गुजर जाता है !!
प्यास लगती नहीं इफ्तार गुजर जाता है !!
हम सब गुनहगारों की मगफिरत करे अल्लाह !!
इबादत होती नहीं और रमजान गुजर जाता है !!
जुम्मा मुबारक !!

क्या यह जुर्म या !!
तकलीफ की बात नही !!
की ईद आ गई और !!
उसकी कोई खबर नही !!
जुम्मा मुबारक !!

वो चमक चाँद में है न सितारों में हैं !!
जो मदीने के दिलकश नजारों में हैं !!
बेजुबान पत्थरों को भी बख्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में हैं !!
जुम्मा मुबारक !!

जुम्मा तुल विदा मुबारक सभी दोस्तों को !!
अल्लाह हम आप सभी की रमज़ान !!
की इबादतें कुबूल फरमाए आमीन !!
जुम्मा मुबारक !!

पलकों पे अपनी बिताया है तुम्हे !!
बड़ी दुआओ के बाद पाया है तुम्हे !!
आसानी से नहीं मिले हो तुम हमें !!
जिंदगी के चिड़ियाघर से चुराया है तुम्हें !!
जुम्मा मुबारक !!

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इन्सान का मुक़द्दर !!
उतनी बार बदलता है !!
जितनी बार वो अपने !!
रब से “दुआ” करता है !!
जुम्मा मुबारक !!

जिसका दिल खुदा के खौफ से खाली हो !!
उसका घर कभी रहमत से नहीं भर सकता !!
जो नसीब में है वो चल कर भी आएगा !!
जो नसीब में नहीं है वो आकर भी चला जाएगा !!
जुम्मा मुबारक !!

नन्हे बच्चों ने भी देख तेरी बारगाह मे दुआ मे हाथ उठाया है !!
अल्लाह राज़ी हो जा रमज़ान अलविदा के मुक़ाम पे आया है !!
जुम्मा मुबारक !!

दुनिया की सबसे बेहतरीन खूबसूरत और हसीन !!
निअमतों में से एक निअमत नमाज है !!
जो सुकून उसमे हैं.वैसा सुकून कहीं नहीं !!

वो चमक चाँद में है न सितारों में है !!
जो मदीने के दिलकश नज़ारों में है !!
बेज़ुबान पत्थरों को भी बख़्श दी ज़ुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में है !!
जुम्मा मुबारक !!

या परवर दिगार आज नमाज में जितने भी उठे हाथ !!
दुआ के लिये सब की दुवाओ पे कुबूल फरमा !!
जुम्मा मुबारक !!

अल्लाह सब के सात हैं !!
तस्वीर ए कैनात का अक्स हैं !!
अल्लाह दिल को जो जगा दे वो एहसास हैं
अल्लाह ए बाँदा ए मोमिन तेरा दिल क्यों उदास हैं !!
दिल से ज़रा पुकार तेरे पास हैं अल्लाह !!
जुम्मा मुबारक !!

नमाज़ की तो वो शान है जो रोक देती हैं !!
तवाफ़-ए-काबा को ए इंसान !!
तेरे कामों की क्या औक़ात है !!
जिस के लिए तू नमाज़ को छोड़ देता हैं !!
जुम्मा मुबारक !!

आज होकर बावरा मेरा !!
मन कुछ करने चला है !!
डूब कर किसी के प्रेम !!
मे तन फिर नाचने चला है !!
जुम्मा मुबारक !!

हमारी तो दुआ है ये कोई गिला नहीं !!
वो फूल जो आज तक यहाँ खिला नहीं !!
खुदा करे आपको वो सब कुछ मिले !!
जो आज तक किसी को कभी मिला नहीं !!
जुम्मा मुबारक !!

अजीब था उनका अलविदा कहना !!
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं !!
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में की लुटा !!
कुछ नहीं और बचा भी कुछ नही !!
जुम्मा मुबारक !!

कितनी चाहत है तुम्हे !!
हमसे यह बता देना !!
और जुम्मा है मेरी जान !!
मेरे लिए दुआ मांग लेना !!
जुम्मा मुबारक !!

अंधेरों को नूर देता हैं !!
उसका जिक्र सुरूर देता हैं !!
उसके दर पर जो भी मांगता हैं !!
खुदा उसे जरूर देता हैं !!
जुम्मा मुबारक !!

अल्लाह सब के साथ हैं !!
तस्वीर ए कैनात का अक्स हैं अल्लाह !!
दिल को जो जगा दे वो एहसास हैं अल्लाह !!
ए बाँदा ए मोमिन तेरा दिल क्यों उदास हैं !!
दिल से ज़रा पुकार तेरे पास हैं अल्लाह !!
जुम्मा मुबारक !!

चुपके से चांद की चांदनी छू जाए आपको !!
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको !!
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से !!
हम दुआ करते हैं मिल जाए वो आपको !!
जुम्मा मुबारक !!

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सलाम मिया हर किसी के लिए दुआ किया करो !!
क्या पता किसी की किस्मततेरी दुआ के इंतजार में है !!
जुम्मा मुबारक !!

इन्सान का मुक़द्दर उतनी बार बदलता है !!
जितनी बार वो अपने रब से दुआ करता है !!
जुम्मा मुबारक !!

सर झुकाने की खूबसूरती भी क्या कमाल की होती हैं !!
धरती पर सर रखों और दुआ आसमान में कुबूल हो जाती हैं !!
जुम्मा मुबारक

दुआ माँग लिया करो दवा से पहले !!
कोई नही देता शिफ़ा खुदा से पहले !!
जुम्मा मुबारक !!

ऐ ख़ुदा मौका देना सफर-ए-मक्का का !!
सुना है जन्नत जैसा नजारा है वहाँ का !!
जुम्मा मुबारक !!

खुशिया इज्जत सुकुन और प्यार !!
ये चार चीजें ज़िन्दगी को ख़ूबसूरत बनती हैं !!
अल्लाह आप की ज़िन्दगी में किसी की भी कमी ना करे !! जुम्मा मुबारक !!

ए खुदा इस रमजान लोगो के दिलो में अमन जगा दे !!
लोगो के दिलो से अहंकार और क्रोध को मिटा दे !!
जुम्मा मुबारक !!

जो किस्मत में न हो वोह रोने से नहीं मिलता !!
मगर दुआ से मिल जाता है !!
जुम्मा मुबारक !!

तू अगर मुझे नवाजता है तो ये तेरा करम है या रब !!
वरना तेरी रहमतो के काबिल मेरी बंदगी नहीं !!
जुम्मा मुबारक !!

पूरा जीवन बीत जाएँ ख़ुदा की बंदगी में !!
पाँचों वक्त का नमाज अदा करू जिंदगी में !!
जुम्मा मुबारक !!

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ !!
कि ख़ुदा नूर भी बरसाता है आजमाइशों के बाद !!
जुम्मा मुबारक !!

आज है रमजान का आखिरी जुम्मा !!
अल्लाह हम सब की दुआएं कुबूल करना !!
जुम्मा मुबारक !!

इस जुम्मे में आपकी दुआएं हो जाएगी कबूल
एक बार खुदा के सजदे में दिल तो लगाओ !!
जुम्मा मुबारक !!

रब से जब भी मांगो रब को ही मांगो !!
जब रब तुम्हारा होगा तो सब तुम्हारा होगा !!
जुम्मा मुबारक !!

इबादत वो है जिसमे ज़रूरतों का ज़िक्र न हो !!
सिर्फ उसकी रेहमतों का शुक्र हो !!
जुम्मा मुबारक !!

Ramzan chand mubarak

तुम अल्लाह को याद रखों अल्लाह तुम्हे याद रखेगा !!
हर किसी के लिए दुआ किया करों !!
जुम्मा मुबारक !!

धेरों को नूर देता हैं !!
उसका जिक्र सुरूर देता हैं !!
उसके दर पर जो भी मांगता हैं !!
खुदा उसे जरूर देता हैं !!
जुम्मा मुबारक !!

काश उनको भी याद आऊ मैं जुम्मा की दुआओं में !!
जो अक्सर मुझसे कहते है दुआओं में याद रखना !!
जुम्मा मुबारक !!

दुआओं में सबकी खुशिया माँग लिया करो !!
जो दुआ नहीं पढ़ते है उनकी भी तकदीर संवार दिया करों !!
जुम्मा मुबारक !!

जब तुम्हें यकीन हो के खुदा हमेशा तुम्हारे साथ है !!
तो फिर कोई फ़र्क नहीं पड़ता के कौन तुम्हारे खिलाफ है !!
जुम्मा मुबारक !!

अंधेरों को नूर देता है !!
उसका ज़िक्र सुरूर देता है !!
उसके दर पर जो भी मांगता है !!
खुदा उसे ज़रूर देता है !!
जुम्मा मुबारक !!

कब से तेरी राह तकते-तकते मेहमान तेरे घर से चला गया !!
कैसे इश्क का मसीहा है तू कोई मायूस होकर तेरे दर से चला गया !!
जुम्मा मुबारक !!

आज कितना खूबसूरत यह दिन आया है !!
मेरे अपनो के लिए रमजान की दुआ लाया है !!
जुम्मा मुबारक !!

ऐ अल्लाह एक मौका हमको भी दे सफ़र-ए-मक्का का !!
सुना है तेरे घर और जन्नत में कोई फर्क नहीं !!
जुम्मा मुबारक !!

जब रब राजी होने लगता है !!
तो बन्दे को अपने ऐबों का पता चलना शुरू हो जाता है !!
और ये उसकी रहमत की पहली निशानी है !!
जुम्मा मुबारक !!

दुआ लफ़्ज़ों से नहीं दिल से होनी चाहिए !!
क्यूंकि खुदा उनकी भी सुनता है !!
जो बोल नहीं सकते !!
जुम्मा मुबारक !!

इश्क़ करना है तू अपने अल्लाह से कर !!
जहाँ न जुदाई है न बे वफ़ाई न रुस्वाई !!
जुम्मा मुबारक !!

तौबा की उम्मीद पर हो चुके बहुत गुनाह या रब !!
मोहलत तो मिल रही है तौफीक भी अता कर !!
जुमा मुबारक !!

रो कर मांग लिया करो रब से !!
इसे किसी के रोने पर हंसी नहीं आती !!
जुमा मुबारक !!

सजदा करते वक्त ये सोचा करो !!
तुमसे बड़ा गुनहगार कोई नहीं !!
और अल्लाह से बड़ा मेहरबान कोई नहीं !!
जुमा मुबारक !!

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Eid mubarak quotation in hindi

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ !!
की खुदा नूर भी बरसाता है आजमाइश के बाद !!
जुमा मुबारक !!

रब से जब भी मांगों रब को ही मांगों !!
जब रब तुम्हारा होगा तो सब तुम्हारा होगा !!
जुमा मुबारक !!

अल्लाह के सजदे में जब मैं सर झुकाता हूँ !!
मैं अपने सारे दुख दर्द का हल पाता हूँ !!
जुमा मुबारक !!

अंधेरे को नूर देता है !!
उसका जिक्र शुरुर देता है !!
उसके दर पर जो भी माँगता है !!
खुदा उसे जरूर देता हैं !!
जुमा मुबारक !!

वो चमक चाँद में है न सितारों में हैं !!
जो मदीने के दिलकश नज़ारों में है !!
बेज़ुबान पत्थर को भी बक्श दी जुबान !!
इतनी ताकत मेरे नबी के इशारों में है !!
जुमा मुबारक !!

आपकी यादों का एहसास इन फिज़ाओं में हो !!
सदा याद रहे आपके चेहरे पे मुस्कुराहट खुदा करे !!
इतना असर हमारी दुआओं में हो !!

कयामत तक रहे सर मेरा सजदे में या रब !!
के तेरे नेमतों के शुक्र के लिए यह ज़िंदगी काफी नहीं !!
जुमा मुबारक !!

या अल्लाह मैं तुझसे माँगूँ ऐसी माफी !!
जिसके बाद कोई गुनाह न हो !!
ऐसी हिदायत जिसके बाद कोई गलती न हो !!
ऐसी सेहत जिसके बाद कोई बीमारी न हो !!
ऐसी राजा जिसके बाद कोई नाराजगी न हो !!

आज तो मेरे हक में कर देना दुआ !!
सुना है ये दिन बहुत कबूलियत का होता है !!
जुमा मुबारक !!

क्यूँ मन्नतें माँगता है औरों के दरबार से !!
वो कौनसा काम है जो होता नहीं तेरे परवरदिगार से !!
जुमा मुबारक !!

चार चीज को हमेशा संभाल कर रखो !!
नमाज़ में दिल को !!
तनहाई में सोच को !!
महफ़िल में ज़बान को !!
रास्ते में निगाह को !!

यह आँखें खुश्क है या रब इन्हें रोना नहीं आता !!
सुलगते दाग हैं दिल में जिन्हें धोना नहीं आता !!
जुमा मुबारक !!

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