Judai Shayari In Hindi   जुदाई शायरी

अंगड़ाई पे अँगड़ाई लेती है रात जुदाई की !! तुम क्या जानो तुम क्या समझो बात मेरी तन्हाई की !!

जुदा किसी से किसी का ग़रज़ हबीब न हो !! ये दाग़ वो है कि दुश्मन को भी नसीब न हो !!

कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है !! जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है !!

यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना !! जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना !!

मोहब्बत रब से हो तो सुकून देती हैं !! न खतरा हो जुदाई का न डर हो बेवफाई का !!

मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे !! छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश है !!

इस मेहरबाँ नज़र की इनायत का शुक्रिया !! तोहफ़ा दिया है ईद पे हम को जुदाई का !!

ऐ चाँद चला जा क्यूँ आया है तू मेरी चौखट पर !! जुदा गया वो शख्स जिस के धोखे मे तुझे देखते थे !!

जुदा हुए हैं कई लोग एक तुम भी सही !! इतनी सी बात पे जिंदगी तू हैरान क्यों हैं !!