259 + Best Mehfil Shayari in Hindi | महफ़िल शायरी २ लाइन

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महफ़िल में आँख मिलाने से कतराते हैं !!
मगर अकेले में हमारी तस्वीर निहारते हैं !!

अजीब अँधेरा है इश्क़ की महफ़िल में !!
चलो दिल जला कर रौशनी कर ले !!

तुम्हारी बज़्म से निकले तो हम ने ये सोचा !!
ज़मीं से चाँद तलक कितना फ़ासला होगा !!

इश्क़ की महफ़िल में दर्द को भी मुस्कुराना पड़ता है !!
महबूब बुलाये तो होठों पर हँसी लेकर आना पड़ता है !!

महफ़िल पर नज़र सभी की टिकी हुई थी !!
तू जब तक थी रौनक तभी तक थी !!

तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है !!
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है !!

महफ़िलें उनकी बातें हमारी !!
बस कुछ ऐसी ही है शख्सीयत हमारी !!

तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चिराग़ !!
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चिराग़ !!

यूँ भरी महफ़िल में तनहा कैसे !!
यूँ संवर कर बैठे हुए भी तबाह कैसे !!

दुश्मन को कैसे खराब कह दूं !!
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है !!

बने हुए हैं वो महफ़िल में सूरत-ए-तस्वीर !!
हर एक को यूँ गुमा है की इधर को देखते हैं !!

इश्क़ का दर्द पलता हो जिस दिल में !!
चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में !!

महफ़िल में आँख मिलाने से कतराते हैं !!
मगर अकेले में हमारी तस्वीर निहारते हैं !!

सम्भलकर जाना हसीनों की महफ़िल में !!
लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में !!

कोई बेताब कोई मस्त कोई चुप कोई हैरान !!
तेरी महफ़िल में इक तमाशा है जिधर देखो !!

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Mehfil Shayari in Hindi

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना !!
ग़मों की महफ़िल भी कमाल जमती है !!

दुश्मन को कैसे खराब कह दूं !!
जो हर महफ़िल में मेरा नाम लेते है !!

महफ़िल में सब थे पर कोई नहीं था !!
रौनक ही नहीं थी जो तू ही नहीं था !!

आये भी लोग गए भी उठ भी खड़े हुए !!
मैं जा ही देखता तेरी महफ़िल में रह गया !!

सहारे ढुंढ़ने की आदत नही हमारी !!
हम अकेले पूरी महफ़िल के बराबर है !!

गरीबों की महफ़िल में कभी चलकर देख लेना !!
सिर्फ मोहब्बत ही मोहब्बत लुटाई जाती है !!

सुनकर ये बात मेरे दिल को थोड़ी सी खली !!
दुश्मन के महफ़िल में भी मेरी ही बात चली !!

इश्क़ का दर्द पलता हो जिस दिल में !!
चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में !!

न तो मैं शोर करता हूँ, ये फिर भी जान लेती है !!
भरी महफ़िल में तन्हाई मुझे पहचान लेती है !!

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक !!
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा !!

रिन्दों की बज़्म-ए-कैफ़ में क्यों शैख़-ए-मोहतरम !!
झगड़ा उठा दिया है सवाब-ओ-अज़ाब का !!

अज़ीज़’-ए-वारसी ये भी किसी का मुझ पे एहसान है !!
के हर महफ़िल में अब अपना भरम महसूस करता हूँ !!

उम्मीद ऐसी तो ना थी महफ़िल के अर्बाब-ए-बसीरत से !!
गुनाह-ए-शम्मा को भी जुर्म-ए-परवाना बना देंगे !!

मैं खुलकार आज महफ़िल में ये कहता हूँ मुझे तुझसे !!
मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है!

होश से आरी रही दीवानगी अपनी ज़फ़र !!
बा-ख़बर महफ़िल में रह कर बे-ख़बर वापस हुए !!

Mehfil Shayari

वो मुझको देखकर कुछ अपने दिल में झेंप जाते हैं !!
कोई परवाना जब शम-ए-सर-ए-महफ़िल से मिलता है !!

हम भी ना-वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-महफ़िल से मगर
चीख़ उठें ख़ामोशियाँ तक ऐसा सन्नाटा भी क्या

ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल !!
सबको मदहोश करे, होश से जाए ख़ुद भी !!

उस की महफ़िल में बैठ कर देखो !!
ज़िन्दगी कितनी ख़ुबसूरत है !!

मिस्ल-ए-परवाना फ़िदा हर एक का दिल हो गया !!
यार जिस महफ़िल में बैठा शम-ए-महफ़िल हो गया !!

शमए रोशन को बुझाए ना कोई महफ़िल में !!
इसकी आगोश मे परवाने को जल जाने दो !!

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक !!
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा !!

भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया !!
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं !!

कुछ लोग जमाने में ऐसे भी होते है !!
महफ़िल में हंसते है, तन्हाई में रोते है !!

धन-दौलत-हैसियत की ही बात क्यों चलती है !!
महफ़िल, इश्क़ करने वालों पर क्यों हँसती है !!

महफ़िल वही मकान वही आदमी वही !!
या हम नये है या तेरी आदत बदल गई !!

सौ चाँद भी आ जाएँ तो महफ़िल में वो बात न रहेगी !!
सिर्फ़ आपके आने से ही महफ़िल की रौनक बढ़ेगी !!

दोस्तों की महफ़िल में कम आना जाना हो गया है !!
ऐसा लगता है कि जिए हुए एक जमाना हो गया है !!

आपकी महफ़िल और मेरी आँखे दोनों भरे-भरे है !!
क्या करे दोस्त, दिल पर लगे जख्म अभी हरे-हरे हैं !!

गुनाह-ए-इश्क़ से पहले इतने तन्हा कभी हम न थे !!
दोस्तों का संग था और हम किसी महफ़िल से कम न थे !!

Mehfil Shayari Status in Hindi

सुना है तेरी महफ़िल में सुकून-ए-दिल भी मिलता है !!
मगर हम जब तिरी महफ़िल से आए बे-क़रार आए !!

छुपाये दिल में गमों का जहान बैठे है !!
तुम्हारी बज़्म में हम बेजबान बैठे हैं !!

अकेलापन कभी हमको अकेला कर नहीं सकता !!
अकेलेपन को हम महबूब की महफ़िल समझते हैं !!

महफ़िल और भी रंगीन हो जाती हैं !!
जब इसमें आप शामिल हो जाती है !!

लफ्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान है !!
कोई तन्हाई से तो कोई महफ़िल से परेशान है !!

सम्भलकर जाना हसीनों की महफ़िल में !!
लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में !!

तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है !!
पूरी उसकी होती है जो किस्मत लेकर आता है !!

तेरी महफ़िल सजाने की कसम खाके बैठे है !!
इसलिए दर्द और आँसुओं को छुपा के बैठे है !!

मोहब्बत की महफ़िल में आज मेरा जिक्र है !!
अभी तक याद हूँ उसको खुदा का शुक्र है !!

दिल के दर्द ने शायर बना दिया तब जाना कि !!
गमों की महफ़िल भी कितनी हसीन होती है !!

गरीबों की महफ़िल में कभी चलकर देख लेना !!
सिर्फ मोहब्बत ही मोहब्बत लुटाई जाती है !!

सुनकर ये बात मेरे दिल को थोड़ी सी खली !!
दुश्मन के महफ़िल में भी मेरी ही बात चली !!

अजीब अँधेरा है इश्क़ की महफ़िल में !!
चलो दिल जला कर रौशनी कर ले !!

मोहब्बत की महफिलों में खुदगर्जी नहीं चलती !!
कमबख्त मेरे ही दिल पे मेरी मर्जी नहीं चलती !!

महफ़िल में वो इस कदर संवर कर आते हैं !!
सदियों के लगे जख्म दिल पर भर जाते हैं !!

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Mehfil Shayari Status

इश्क़ में इस कदर डूबे की दुनिया से शिकवा होना था !!
उनकी महफ़िल में एक बार अदब से रुसवा होना था !!

इश्क़ का दर्द पलता हो जिस दिल में !!
चर्चा उसकी होती है हर महफ़िल में !!

इनमे लहू जला हो हमारा कि जान ओ दिल !!
महफ़िल के कुछ चिराग फ़रोज़ां हुए हैं !!

सुना है तेरी महफ़िल में सुकून-ए-दिल भी मिलता है !!
मगर हम जब तिरी महफ़िल से आए बे-क़रार आए !!

मोहब्बत की महफ़िल में आज मेरा जिक्र है !!
अभी तक याद हूँ उसको खुदा का शुक्र है !!

यूँ तो राज़ खुल ही जायेगा एक दिन हमारी मोहब्बत का !!
महफ़िल में जो हमको छोड़ कर सबको सलाम करते हो !!

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना !!
ग़मों की महफ़िल भी कमाल जमती है !!

ये न जाने थे कि उस महफ़िल में दिल रह जायेगा !!
समझे थे कि चले आयेंगे दम भर देख कर !!

जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी !!
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है !!

मोहताज थी आईने की तस्वीर सी सूरत !!
तस्वीर बनाया मुझे महफ़िल में किसी ने !!

अकेलापन कभी हमको अकेला कर नहीं सकता !!
अकेलेपन को हम महबूब की महफ़िल समझते हैं !!

वो मुझको देखकर कुछ अपने दिल में झेंप जाते हैं !!
कोई परवाना जब शम-ए-सर-ए-महफ़िल से मिलता है !!

उससे बिछड़े तो मालूम हुआ की मौत भी कोई चीज़ है ‘फ़राज़ !!
ज़िंदगी वो थी जो हम उसकी महफ़िल में गुज़ार आए !!

उस की महफ़िल में बैठ कर देखो !!
ज़िन्दगी कितनी ख़ुबसूरत है !!

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ !!
दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे !!

महफ़िल शायरी

अपनी ही आवाज़ पर चौंके हैं हम तो बार बार !!
ऐ रफ़ीक़ो बज़्म में इतनी भी तन्हाई न हो !!

शराबखानो कभी महफ़िलों की जानिब हम !!
ख़ुद अपने आप से टकराव टालने निकले !!

फ़लक़ दुश्मन, मुखालिफ़ ग़र्दिश-ए-अय्याम है साक़ी !!
मगर हम हैं, तेरी महफ़िल है, दौर-ए-जाम है साक़ी !!

न तो मैं शोर करता हूँ, ये फिर भी जान लेती है !!
भरी महफ़िल में तन्हाई, मुझे पहचान लेती है!!

तेरी महफ़िल तेरे जलवे फिर तकाज़ा क्या ज़रूर !!
ले उठा जाता हूँ ज़ालिम ले चला जाता हूँ मैं !!

क़यामत क्या ये है हुस्ने दो आलम होती जाती है !!
के महफ़िल तो वही है दिलक़शी कम होती जाती है !!

मोहताज थी आईने की तस्वीर सी सूरत !!
तस्वीर बनाया मुझे महफ़िल में किसी ने !!

शमए रोशन को बुझाए ना कोई महफ़िल में !!
इसकी आगोश मे परवाने को जल जाने दो !!

क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले !!
आज महफ़िल में तिरे नाम पे पैमाने चले !!

जश्न हो इतनी गुंजाईश तो छोड़ आया था !!
न जाने क्यों वहाँ महफ़िल नहीं हुई अब तक!!

रंग-ए-महफ़िल चाहती है इक मुकम्मल इंक़लाब !!
चंद शम्माओं के भड़कने से सहर होती नहीं !!

भरे हैं तुझ में वो लाखों हुनर ऐ मजमअ-ए-ख़ूबी !!
मुलाक़ाती तिरा गोया भरी महफ़िल से मिलता है !!

हम भी ना-वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-महफ़िल से मगर !!
चीख़ उठें ख़ामोशियाँ तक, ऐसा सन्नाटा भी क्या !!

कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल !!
मुझे दरबदर फिराया, मेरे दिल की सादगी ने !!

तेरी महफ़िल से दिल कुछ और तनहा होके लौटा है !!
ये लेने क्या गया था और क्या घर लेके आया है !!

Mehfil Status

हिज्र की रात है और उनके तसव्वुर का चराग़ !!
बज़्म की बज़्म है तन्हाई की तन्हाई है !!

मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौरे जाम !!
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में !!

मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौरे-जाम !!
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में !!

हिज्र की रात है और उनके तसव्वुर का चराग़ !!
बज़्म की बज़्म है तन्हाई की तन्हाई है !!

सर-ए-महफ़िल निगाहें मुझ पे जिन लोगों की पड़ती है !!
निगाहों के हवाले से वो चेहरे याद रखता हूँ !!

तेरी महफ़िल तेरे जलवे फिर तकाज़ा क्या ज़रूर !!
ले उठा जाता हूँ ज़ालिम ले चला जाता हूँ मैं !!

फ़लक़ दुश्मन, मुखालिफ़ ग़र्दिश-ए-अय्याम है साक़ी !!
मगर हम हैं, तेरी महफ़िल है, दौर-ए-जाम है साक़ी !!

उठ के महफ़िल से मत चले जाना !!
तुमसे रौशन ये कोना-कोना है !!

न तो मैं शोर करता हूँ, ये फिर भी जान लेती है !!
भरी महफ़िल में तन्हाई, मुझे पहचान लेती है !!

कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल !!
मुझे दरबदर फिराया, मेरे दिल की सादगी ने !!

छुपाये दिल में ग़मों का जहान बैठे हैं !!
तुम्हारी बज़्म में हम बेज़बान बैठे हैं !!

तेरी महफ़िल से दिल कुछ और तनहा होके लौटा है !!
ये लेने क्या गया था और क्या घर लेके आया है !!

ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सहीं चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में !!
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए !!

शराबखानो कभी महफ़िलों की जानिब हम !!
ख़ुद अपने आप से टकराव टालने निकले !!

हम भी ना-वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-महफ़िल से मगर !!
चीख़ उठें ख़ामोशियाँ तक, ऐसा सन्नाटा भी क्या !!

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Mehfil Shayari in Hindi

बने हुए हैं वो महफ़िल में सूरत-ए-तस्वीर !!
हर एक को यूँ गुमा है की इधर को देखते हैं !!

वो आज आये हैं महफ़िल में चांदनी लेकर !!
कि फिर रौशनी में नहाने की रात आयी !!

क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले !!
आज महफ़िल में तिरे नाम पे पैमाने चले !!

भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया !!
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं !!

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ !!
दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे !!

दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए !!
याद-ए-जानाँ से कोई शाम न ख़ाली जाए !!

नज़र नज़र पे सर-ए-बज़्म है नज़र उन की !!
नज़र नज़र में सलाम-ओ-पयाम होता है !!

जश्न हो इतनी गुंजाईश तो छोड़ आया था !!
न जाने क्यों वहाँ महफ़िल नहीं हुयी अब तक !!

बू-ए-गुल, नाला-ए-दिल, दूद-ए-चिराग़-ए-महफ़िल !!
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला !!

इस बज़्म में इक जश्न-ए-चराग़ाँ है उन्ही से !!
कुछ ख़्वाब जो पलकों पे उजाले हुए हम हैं !!

देखें अब रहता है किस किस का गरेबाँ साबित
चाक-ए-दिल लेके तिरी बज़्म से दीवाने चले !!

यूँ चुराईं उस ने आँखें सादगी तो देखिए !!
बज़्म में गोया मिरी जानिब इशारा कर दिया !!

हम भी ना-वाक़िफ़ नहीं आदाब-ए-महफ़िल से मगर !!
चीख़ उठें ख़ामोशियाँ तक ऐसा सन्नाटा भी क्या !!

ऐसा साक़ी हो तो फिर देखिए रंगे-महफ़िल !!
सबको मदहोश करे, होश से जाए ख़ुद भी !!

उम्मीद ऐसी तो ना थी महफ़िल के अर्बाब-ए-बसीरत से !!
गुनाह-ए-शम्मा को भी जुर्म-ए-परवाना बना देंगे !!

Mehfil 2 Line Shayari

आज तू कल कोई और होगा सद्र-ए-बज़्म-ए-मै !!
साकिया तुझसे नहीं, हम से है मैखाने का नाम !!

मैं खुलकार आज महफ़िल में ये कहता हूँ मुझे तुझसे !!
मोहब्बत है, मोहब्बत है मोहब्बत है मोहब्बत है !!

होश से आरी रही दीवानगी अपनी ‘ज़फ़र !!
बा-ख़बर महफ़िल में रह कर बेख़बर वापस हुए !!

वो मुझको देखकर कुछ अपने दिल में झेंप जाते हैं !!
कोई परवाना जब शम-ए-सर-ए-महफ़िल से मिलता है!!

ख़ल्वत बनी हुई थी तिरी अंजुमन मगर !!
मैं आ गया तो बज़्म का नक़्शा बदल गया !!

जाकर तेरी महफ़िल से कहाँ चैन मिलेगा !!
अब अपनी जगह अपनी खबर जाए तो अच्छा !!

महफ़िल में तेरी यूँ ही रहे जश्न-ए-चरागां !!
आँखों में ही ये रात गुज़र जाए तो अच्छा !!

रिन्दों की बज़्म-ए-कैफ़ में क्यों शैख़-ए-मोहतरम !!
झगड़ा उठा दिया है सवाब-ओ-अज़ाब का !!

तहसीन के लायक तेरा हर शेर है !!
अहबाब करें बज़्म में अब वाह कहाँ तक !!

हो गया हाँसिल किसी के प्यार में ये मर्तबा !!
जा रहा हूँ बज्म में आगोश दर आगोश मैं !!

अपनी ही आवाज़ पर चौंके हैं हम तो बार बार !!
ऐ रफ़ीक़ो बज़्म में इतनी भी तन्हाई न हो !!

क़यामत क्या ये है हुस्ने दो आलम होती जाती है !!
के महफ़िल तो वही है दिलक़शी कम होती जाती है !!

ऐ दिल की ख़लिश चल यूँ ही सहीं, चलता तो हूँ उनकी महफ़िल में !!
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए !!

मोहताज थी आईने की तस्वीर सी सूरत !!
तस्वीर बनाया मुझे महफ़िल में किसी ने !!

शमए रोशन को बुझाए ना कोई महफ़िल में !!
इसकी आगोश मे परवाने को जल जाने दो !!

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Mehfil Par Shayari

तू जरा हाथ मेरा थाम !!
के देख तो सही !!
लोग जल जायेगें महफ़िल मे !!
चिरागो की तरह !!

कल लगी थी शहर में बद्दुआओं की महफ़िल !!
मेरी बरी आई तो मैंने कहा !!
इसे भी इश्क़ हो इसे भी इश्क़ इसे भी इश्क़ हो !!

जहाँ महफ़िल भर गई !!
सारे जहाँ के लोगों से !!
वही मेरा जहाँ ना जाने !!
कहाँ रह गया था !!

कल लगी थी शहर में बद्दुआओं की महफ़िल !!
मेरी बारी आई तो मैंने कहा !!
इसे भी इश्क़ हो इसे भी इश्क़ इसे भी इश्क़ हो !!

कोई बेसबब, कोई बेताब !!
कोई चुप , कोई हैरान है !!
ऐ जिंदगी, तेरी महफ़िल !!
के तमाशे ख़त्म नहीं होते !!

पीते थे शराब हम !!
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर !!
महफ़िल में गए थे हम !!
यारों ने पिलाई उसकी कसम देकर !!

महफ़िल में गले मिल के !!
वो धीरे से कह गए !!
ये दुनिया की रस्म है !!
इसे मोहब्बत ना समझ लेना !!

मेरी आवाज़ को महफूज !!
कर लो, मेरे दोस्तों !!
मेरे बाद बहुत सन्नाटा होगा !!
तुम्हारी महफ़िल में !!

वो शमा की महफ़िल ही क्या !!
जिसमें दिल खाक न हो !!
मज़ा तो तब है चाहत का जब !!
दिल तो जले पर राख न हो !!

उस से बिछड़े तो मालूम हुआ की !!
मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़ !!
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी !!
महफ़िल में गुज़ार आए !!

फ़रेब-ए-साक़ी-ए-महफ़िल !!
न पूछिए “मजरूह !!
शराब एक है बदले हुए हैं पैमाने !!
मजरूह सुल्तानपुरी !!

फुर्सत निकाल कर आओ कभी मेरी !!
महफ़िल में, लौटते वक्त !!
दिल नहीं पाओगे अपने सीने में !!

तुम बताओ तो मुझे किस बात की सजा देते हो !!
मंदिर में आरती और महफ़िल में शमां कहते हो !!
मेरी किस्मत में भी क्या है लोगो जरा देख लो !!
तुम या तो मुझे बुझा देते हो या फिर जला देते हो !!

ये न जाने थे !!
की उस महफ़िल में दिल रह जायेगा !!
समझे थे कि चले !!
आयेंगे दम भर देख कर !!

चेहरे पर मुस्कराहट का नकाब लगा कर !!
रोता हूँ अकेले में महफ़िल में !!
सभी को खुद को ठीक बता कर !!

महफ़िल पर शायरी

ये महफ़िल है इसका दस्तूर यही है !!
जनाब यहाँ सब होते है !!
पर कोई किसी का नहीं होता !!

अगर देखनी है कयामत तो !!
चले आओ हमारी महफिल मे !!
सुना है आज की !!
महफिल मे वो बेनकाब आ रहे हैँ !!

मुझे गरीब समझ कर !!
महफिल से निकाल दिया !!
क्या चाँद की महफिल !!
मे सितारे नही होते !!

बेइज़्ज़त ना किया करो !!
महफ़िल में बुला कर मुझे !!
या तो नज़र मत आया करो या !!
फिर नज़र अंदाज़ मत किया करो !!

यूँ तो राज़ खुल ही जायेगा !!
एक दिन हमारी मोहब्बत का !!
महफ़िल में जो हमको छोड़ !!
कर सबको सलाम करते हो !!

तुम्हारा जिक्र हुआ तो !!
महफ़िल छोड़ आये !!
गैरों के लबों पे तुम्हारा !!
नाम अच्छा नहीं लगता !!

गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है !!
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है !!
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख !!
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है !!

आसान है अकेले में इज़हार करना !!
मुश्किल है जनाब अपनी चाहत !!
को महफिलों में प्यार करना !!

इनमे लहू जला हो !!
हमारा कि जान ओ दिल !!
महफ़िल के कुछ चिराग फ़रोज़ां हुए हैं !!

महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है !!
ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है !!
कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे !!
आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है !!

हसीनाएं हज़ार थी !!
महफ़िल में मगर दिल !!
और नज़र बस तुझ पर रुक गए !!

देखी जो नब्ज़ मेरी तो !!
हंस कर बोला हकीम !!
के तेरे मर्ज का इलाज़ !!
महफ़िल है दोस्तों की !!

जिक्र उस का ही !!
सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़ !!
दर्द कैसा भी उठे !!
हाथ न दिल पर रखना !!

क्या कहें चुप रहना ही जवाब बेहतर है !!
तेरी आदत से अच्छा तलब !!
इस शराब की बेहतर है !!

फिर नजर में फूल महके !!
दिल में फिर शमा जली !!
फिर तसव्वुर ने लिया !!
उस बज़्म में जाने का नाम !!

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महफ़िल शायरी हिंदी

मैंने आंसू को समझाया !!
भरी महफ़िल में ना आया करो !!
आंसू बोला !!
तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है !!
इसीलिए तो चुपके से चले आते है !!

महफ़िल में शरीक हुए मगर सबके !!
साथ बैठ कर भी कहीं ना !!
कहीं अकेले ही खड़े थे !!

उठ कर तो आ गया है !!
तेरी बज्म से मगर !!
कुछ दिल ही जनता है !!
कि किस दिल से आये हैं !!

मत बुलाया करो अपनी महफिलों में !!
हमे तालियां रूठ जाती है !!
हमारे आने से !!

सजती रहे खुशियों की महफ़िल !!
हर महफ़िल ख़ुशी से सुहानी बनी रहे !!
आप ज़िंदगी में इतने खुश रहें कि !!
ख़ुशी भी आपकी दीवानी बनी रहे !!

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