नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में हम लाये है, बचपन पर यादगार और रोमांटिक शायरी दोस्तों आपको पता ही होगा की बचपन की यादे कितना आता होगा, २ लाइन बचपन पर हम बोलना चाहते है की बचपन वह रंगीन समय है जब सभी चीजें नई होती हैं। यह समय सपनों और खुशियों से भरा होता है, आपको पता होगा दोस्तों बचपन में हमसब कितना सरारती थे,तो इसी बचपन को और हम यादगार बनाते है, हमारे इस आर्टिकल के साथ मुझे यकीं है आपलोगो को यह आर्टिकल पसंद आएगा,
Hello friends, In today’s article, we have brought memorable and romantic poetry about childhood. Friends, you must know how much you remember childhood memories. 2 lines on childhood. We want to say that childhood is that colorful time when everything things are new. This time is full of dreams and happiness, you must know friends, how mischievous we all were in childhood, so we make this childhood memorable, with this article of ours I am sure you will like this article,
Bachpan Ki Yaade Shayari
जज़्बा बचपन का वो कहाँ खो गया ज़िन्दगी में !!
जब पतंग भी उड़ानी थी तो सबसे ऊंचाई पर।
कागज़ की कश्तियों ने उस दिन से तैरना छोड़ दिया है !!
जिस दिन से बच्चे ने बचपना करना ही छोड़ दिया !!
किसने कहा बचपन आज़ाद होता है !!
वो बच्चा अपनी गरीबी के हालातों का गुलाम था !!
वो बच्चा मजबूर मज़दूर का है !!
उसका बचपन भी हमारी जवानी से भारी है !!
कमाल होता है उन गरीब बच्चों का बचपन भी !!
वो चलना सीखते ही घर चलाना सीख लेते हैं !!
चंद्रयान चाँद पर बैठा हुआ है और मेरे देश का बच्चा !!
विद्यालय की कक्षाओं को छोड़ कर दूकान पर बैठा हुआ है !!
खेलने के लिए खिलौने कम बहाने ज्यादा होते थे !!
सुबह दोपहर शाम हर वक़्त हम चार दोस्त मैदान में होते थे !!
जन्मदिन की ख़ुशी तो बचपन में होती होती थी जब !!
जन्मदिन पर पैसे कम और दोस्त ज्यादा हुआ करते थे !!
मैदान में जमा हो कर जम कर खेलते थे !!
काश वो बचपन और वो दोस्ती फिर से लौट आए !!
बचपन में दस रुपए भी दस दोस्त मिल कर खाते थे !!
पेट तो नहीं भरता था पर मुस्कुराहटों से ज़िन्दगी भर जाती थी !!
चार दोस्त जो बचपन में हस कर मिला करते थे !!
आज वक़्त बीतने पर जब फ़ोन कर लो दफ्तर मिला करते हैं !!
कीचड़ उछालते थे दोस्त बचपन में भी एक दूसरे पर !!
बस फ़र्क़ इतना होता थे वो बचपन में बारिश का पानी था !!
कन्धों पर बस्ते और कन्धों पर हाथ मैं दोस्तों !!
संग अपनी धून में और दोस्त अपनी धून में मेरे साथ !!
स्कूल की सजा भी मज़ा लगा करती थी दोस्तों के साथ में !!
कुछ तो बात ज़रूर थी उस बचपन की बात में !!
अगर ज़िन्दगी मौसमों का संगम है !!
तो बचपन इसमें सबसे छोटा और सबसे सुहाना मौसम है !!
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Bachpan Ki Yaade Shayari
आज कल हर बच्चे पर ऐसे बोझ बना रखा है !!
जैसे सबसे पहले वही बड़ा होने वाला है !!
जाने कब बीत गए वो दिन !!
बचपन के ना खबर हुई ना सबर हुआ !!
आज भी रविवार हर रविवार को आता है !!
पर पहले जैसा बच्चों का झुण्ड पार्क में दिखाई नहीं देता !!
बच्चों की आँखों ने ख़्वाब देखना बंद कर दिया है !!
अब उनके सपने मोबाइल ही पूरे कर देता है !!
बचपन का सुकून आज भी याद आता है !!
माँ के हाथों का खाना उनके ही हाथों से खाना आज बी याद आता है !!
वो अखबार बेचता हुआ बच्चा अपना बचपना !!
दाव पर लगा कर क्या खूब पैसे कमा रहा था !!
अपनी उम्र से अनजान वो बच्चा !!
खेलने की उम्र में खिलौने बेच रहा था !!
नाम उस गरीब बच्चे का माँ-बाप ने विजय रखा था !!
पर अफ़सोस जीत से अभी भी काफी दूर था !!
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश !!
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की !!
बचपन सा इन्साफ कहीं नहीं किया कुदरत ने बचपना !!
इंसान का हो या जानवर का मासूम ही होता है !!
बचपन की तो बात ही खास है !!
छिप-छिप कर पतंगे उड़ाना आज भी याद है !!
बिना किस्से कहानी सुने नींद ना आना !!
माँ की गोद में थक हार कर सो जाना !!
रब से है एक ही कामना !!
काश लौट आए मेरा बचपना !!
जब भी बचपन याद आता है !!
मेरा मन एक बार फिर से मचल जाता है !!
वो बचपन तो कल ही आया था !!
जिसने हमें मुस्कुराना सिखाया था !!
Bachpan Ki Yaade
बड़े होने से मेरा मन डरता है !!
दिल के कोने में अभी भी एक मासूम बच्चा है !!
हे ईश्वर! मुझे मेरा बचपन लौटा दो !!
एक बार फिर से मुझे बच्चा बना दो..!!
जो सोचता था बोल देता था !!
बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी !!
वो बचपन क्या बीता जब से !!
तब से सुकून का एक पल नहीं आया !!
बचपन की बरसात में हर कोई भीगा होगा !!
पर कोई उस बरसात से बीमार नहीं हुआ !!
कल की फ़िक्र करने का वक़्त ही कहाँ था !!
मुझे तो बस छत पे पतंग उड़ाने के वक़्त की फ़िक्र थी !!
काफी रोता था बचपन में एक छोटी सी खंरोच पर आज !!
दिल भी टूट जाता है तो आँखों को पता नहीं लगने देता !!
हाथ गंदे रहते थे मिटटी से पर दिल साफ़ होता था !!
सारी गलती मेरी होती थी पर फिर भी सब माफ़ था !!
बचपन वो था जब खिलोने टूटने पर रोना आता था !!
और जवानी वो है जब दिल टूटने पर भी रो नहीं पाते !!
अधूरा होमवर्क और स्कूल ना जाने का बहाना !!
पापा का डांटना और माँ का हमेशा बचाना !!
हमें याद है आज भी वो दिन !!
जब पिटाई खाकर गुजरते थे दिन !!
बचपन का मजा ही कुछ और था !!
हर तरफ मस्ती और शरारतों का दौर था !!
कुछ हालातों ने हमें बड़ा बना दिया !!
बचपन की यादें मिटाकर रास्तों पर कदम बढ़ा लिया !!
काश लौट आता वो बचपन !!
जिसमें नहीं होती थी कोई टेंशन !!
जब भी देखता हूं बच्चों का खिलौना !!
याद आता है बचपन का दिन अपना !!
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Shayari For Bachpan
बचपन की हर शाम होती थी सुहानी !!
जब नानी की गोद में बैठकर सुनते थे परियों की कहानी !!
बीत गया बचपन आ गई जवानी !!
लाइफ की है बस इतनी ही कहानी !!
माँ का आलिंगन पापा की डाँट !!
भाई बहन के साथ नटखट सा व्यव्हार !!
आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए !!
जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया !!
बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे !!
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर !!
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखना !!
बचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना !!
मैं आज भी बड़े होने से डरता हूं !!
इसलिए तो हर रोज बचपना करता हूं !!
आसमान में जब उड़ती पतंग दिखाई दी !!
ऐसा लगा मानो किसी ने बचपन की झलक दिख दी !!
न जाने कब बचपन बीता और मैं बड़ी हो गई !!
शौक की जिंदगी अब जरूरतों में बदल गई !!
मत कर सुकून की बात ऐ ग़ालिब !!
बचपन का रविवार अब नहीं आता !!
वो बचपन भी कमाल था !!
जिसका हर दिन बेमिसाल था !!
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी !!
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है !!
माना बचपन में इरादे थोड़े कच्चे थे !!
पर देखे जो सपने सिर्फ वहीं तो सच्चे थे !!
बिना समझ के भी हम कितने सच्चे थे !!
वो भी क्या दिन थे जब हम बच्चे थे !!
बचपना अब भी वही है हममें !!
बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं !!
मेरे बचपन की यादें शायरी
मिट चले मेरी उमीदों की तरह हर्फ़ मगर !!
आज तक तेरे खतों से तेरी खुशबू न गई !!
बचपन समझदार हो गया !!
मैं ढूंढता हू खुद को गलियों मे !!
बेहद मजबूत होते हैं ये खास रिश्ते !!
तभी तो बचपन के दोस्त कभी नहीं छूटते !!
बीत गया बचपन आ गई जवानी !!
देखो खत्म हो गई गुड्डा-गुड़िया की कहानी !!
बचपन में आकाश को छूता सा लगता था !!
इस पीपल की शाख़ें अब कितनी नीची हैं !!
उस बच्चे का तो बचपन भी जाया है !!
जिसके नन्हे सर पर गरीबी का साया है !!
आज सात बजे बारिश तो हुई पर छुट्टी !!
का बहाना बनाने के लिए स्कूल नहीं था !!
राजा की तरह बचपन था मेरा !!
माँ की गोद मेरा सिंहासन हुआ करता था !!
हाल मेरे देश के बच्चों का कोई तो सुधार दो !!
उसे किताब की दूकान पर बैठने से पहले !!
कम से कम पढ़ना तो सीखा दो !!
सुकून की बात मत कर ऐ !!
दोस्त बचपन वाला !!
इतवार अब नहीं आता !!
बचपन से हर शख्स याद !!
करना सिखाता रहा !!
भूलते कैसे है बताया नही किसी ने !!
मोहल्ले वाले मेरे कार-ए-बे-मसरफ़ !!
पे हँसते हैं मैं बच्चों के लिए !!
गलियों में ग़ुब्बारे बनाता हूँ !!
फिर उसके बाद मैं बचपन !!
से निकल आया था !!
मोहब्बत मेरी आखिरी श़रारत थी !!
सब कुछ तो हैं फ़िर क्यों रहूँ उदास !!
तेरे जैसा मैं भी बन पाता मनमौजी !!
लतपत धूल-मिट्टी से लेता खुलकर साँस !!
बचपन की बात ही कुछ और थी !!
जब घाव दिल पर नही !!
हाथ-पैरों पर हुआ करते थे !!
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Bachpan status
उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है !!
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है !!
कफ़ील आज़र अमरोहवी !!
चाँद के माथे पर बचपन की चोट के दाग़ नज़र आते हैं !!
रोड़े !!पत्थर और गुल्लोंसे दिनभर खेला करता था !!
बहुत कहा आवारा उल्काओं की संगत ठीक नहीं !!
वो बचपन क्या था जब हम दो रुपए में !!
जेब भर लिया करते थे वो वक़्त ही क्या था !!
जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे !!
बचपन भी सब बच्चों का एक सा नहीं होता !!
एक बच्चा कंचे खेलने जा रहा है !!
तो दूसरा कंचों के कारखाने जा रहा है !!
दो बच्चे दोनों की उम्र एक पर दास्ताँ अलग !!
एक बच्चा खाना कूड़े में फेंक रहा है !!
और एक बच्चा कूड़े से खाना ढूंढ कर खा रहा है !!
बच्चों का दिल भी कितना साफ़ होता है !!
सब खेलते एक साथ है धुप में !!
पर जलता कोई नहीं है !!
दादी-नानी की कहानी में !!
होता था परियों का फसाना !!
बचपन था हमारा खुशियों का खजाना !!
बचपन में घर छोड़कर जाने की धमकी देता था !!
एक दिन मम्मी ने सामान पैक कर दिया तो डर गया !!
तब से घर छोड़कर चला जाऊंगा बोलना छोड़ दिया !!
बिलकुल नासमझ थी बचपन की दोस्ती !!
गुरूजी के एक के कान पकड़े जाने पर हर गलती !!
का इलज़ाम सब मिल कर सर पर लेते थे !!
बचपन में खिलौना ही खज़ाना था !!
पर उसे छुपाने के लिए तिजोरी !!
पर खर्चा नहीं करना पड़ता था !!
आज भी मैदान तो है पर उन पर खेलता !!
कोई बच्चा नज़र नहीं आता बच्चे तो आज भी है !!
पहले की तरह बस उनके अंदर अब बचपना नज़र नहीं आता !!
कितना पवित्र था वो बचपन का प्यार !!
ना भूख थी जिस्म की न था सम्पति का लालच !!
थी तो बस एक दूजे के साथ की चाहत !!
बचपन में कुछ ऐसी !!
होती थी हमारी मस्ती !!
जैसे बिन किनारे की कश्ती !!
जिंदगी में जब नहीं था !!
जिम्मेदारियों का एहसास !!
इसलिए तो वो बचपन था खास !!
ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर !!
बस अपनी ही धुन बस अपने सपनो का घर !!
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर !!
Bachpan quotes in hindi
क्या दोस्ती थी बचपन की हमारी !!
हमे मैदान का क्या पता लगा !!
हम अपने घर का पता भूल गए !!
माँ और मेरे रिश्ते में ज्यादा फ़र्क़ तो नहीं आया !!
बस बचपन में माँ की डांट से नाराज़ हुआ करते थे !!
आज माँ की डांट से खफा हो जाते हैं !!
किताबों की कविताएं बचपन की आज भी याद है !!
शायद इसीलिए याद हैं क्यूंकि याद रखने के लिए !!
दिमाग पर ज़ोर नहीं डाला था !!
एक वो बचपन था जब नन्हे क़दमों ने !!
हर गली को अपने पैरों से नापा था एक आज है !!
की ऑफिस के कमरे से बहार नहीं निकल पाते !!
खिलौनों से खेलने की उम्र में !!
उसे हर खिलोने का दाम पता था !!
कौन कहता है आज कल के बच्चो को !!
पैसे की क़ीमत ही नहीं जानते !!
मैदान में मना करते थे तो गली में खेलते थे !!
गली में मना हुआ तो छत पर खेलते थे !!
बचपन में खेलने का फितूर ही ऐसा था !!
की घर में बैठना गवारा नहीं था !!
बचपन में पलकों का वजन ही इतना हलका होता है !!
की आँख बंद करते ही नींद आ जाती है !!
अब पलकों पर आंसुओ का वजन इतना बढ़ गया है !!
की नींद आना भारी हो गया है !!
बचपन में माँ से मिले दो रूपए !!
जितने सपने खरीद सकते थे !!
आज खुद के कमाए लाखों रूपए भी !!
उतने सपने नहीं खरीद सकते !!
वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे !!
न फ़िक्र कोई न दर्द कोई !!
बस खेलो खाओ सो जाओ !!
बस इसके सिवा कुछ याद नही !!
मां का आंचल और पापा !!
के कंधों की याद सताती है !!
भले ही हो रहे हैं बड़े लेकिन !!
बचपन की याद अब भी आती है !!
फ़िजूल की बातों पर खूब जोर से हँसना !!
स्कूल जाने के नाम पर बुखार का चढ़ना !!
बड़ा ही याद आता है वो धुँधला-धुँधला सा दिन !!
कहाँ गया मुझे अकेला छोड़कर मेरा बचपना !!
मोहब्बत की महफ़िल !!
में आज मेरा ज़िक्र है !!
अभी तक याद हूँ !!
उसको खुदा का शुक्र है !!
एक दिन की बात हो !!
तो उसे भूल जाएँ हम !!
नाज़िल हों दिल पे !!
रोज बलाएँ तो क्या करें…!!
कितने खुबसूरत हुआ करते थे !!
बचपन के वो दिन !!
सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से !!
दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी….!!
मुस्कुरा कर रह जाता हूँ !!
जब भी याद आती है वो मस्ती !!
और जब भी याद आती है !!
विद्यालय की वो पुरानी बस्ती…!!
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बचपन शायरी इन हिंदी
भटक जाता हूँ !!
अक्सर खुद हीं खुद में !!
खोजने वो बचपन जो !!
कहीं खो गया है !!
एक दोस्तों की कामियाबी पर !!
हर दोस्त को नाज़ होता था !!
वो बचपन की सरलता इतनी सरल कैसे थी !!
ये भी एक राज़ हुआ करता था !!
मैं और मेरा दोस्त हर कोई हमे !!
आवारा कहा करता था पर बचपने के !!
चलते मासूमियत थी चेहरे पर !!
इसलिए हर कोई हमे प्यारा कहा करता था !!
ना कहाँ जा रहे हैं वो जगह पूछते थे !!
ना वहां जाने की वजह पूछते थे !!
बस दोस्त के साथ क़दम से कदम !!
मिला कर उसके हाल-चाल पूछते थे !!
इंसान जब बच्चा होता है !!
तब शैतानियां कर के भी मासूम कहलाता है !!
पर जब बड़ा होता है तब मासूम !!
रह कर भी शैतान कहलाता है !!
बचपन जब तक था !!
तब तक सिर्फ इतना पता था !!
की सिर्फ खिलौनो से खेला जाता है !!
बड़े हुए तो जाना भावनाओं से भी किसी की खेल सकते है !!
जब तक बच्चे थे बोझ के डर से !!
कोई सामान तक नहीं उठाने देता था !!
थोड़े बड़े क्या हुए घर की सारी ज़िम्मेदारियों !!
का बोझ मेरे कंधो पर डाल दिया !!
खेल खेलने का कोई वक़्त नहीं था !!
हर जगह हमारा ही मैदान था !!
अनजान था तभी बड़ा होने की !!
ज़िद्द पकड़ी थी क्या करू नादान था !!
मुस्कुराने का मन करता है !!
तो बचपन को याद कर लेता हूँ !!
और रोने का मन करता है !!
तो अपनों को याद कर लिया करता हूँ !!
हर किसी की गोद में बैठता है !!
हर कोई सर पर चढ़ाता है !!
गम तो बार बार आते हैं !!
ज़िन्दगी में पर बचपन !!
ज़िन्दगी में बस एक बार आता है !!
आज एक राही को राह में बैठे !!
कुछ सोच कर मुस्कुराते देखा मैं !!
समझ गया ज़रूर उसे !!
उसका बचपन याद आया होगा !!
पूछा जब किसी ने मुझसे की फ़र्क़ क्या है !!
बचपन और जवानी में मैंने हस कर कहा !!
खिलौने किसके पास ज्यादा हैं !!
बचपन में इसकी हौड़ लगी रहती थी !!
और दौलत किस पर ज्यादा है !!
जवानी में इसकी हौड़ लगी रहती है !!
यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया !!
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया !!
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो !!
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो !!
कहा भुल पाते है हम बचपन की बाते !!
सबको याद आती है वो बचपन की बरसाते !!
भीग जाते थे हम जब बारिशों में !!
याद आती है वो दोस्तो की मुलाकाते !!
बंधना-बंधाना पसंद ना था !!
सुनना-सुनाना पसंद ना था !!
हम कितनी भी बात मनवाले !!
कोई हमसे बात मनवाये पसंद ना था !!
Childhood Shayari
अब वो खुशी असली नाव !!
मे बैठकर भी नही मिलती है !!
जो बचपन मे कागज की नाव !!
को पानी मे बहाकर मिलती है !!
काश किसी ने बचपन में !!
हमें School के दिनों की !!
अहमियत बताई होती !!
तो हमने बड़े होने में इतनी !!
जल्दबाजी न दिखाई होती !!
बचपन में हर कोई इसलिए खुश होता है !!
क्योंकि माँ ही बच्चे की पूरी दुनिया होती है !!
जिंदगी बड़े ही अजीब तरह से बदल जाती है !!
जब उसी बच्चे के लिए इस दुनिया में एक माँ होती है !!
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो !!
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी !!
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन !!
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी !!
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था !!
खेलने कि मस्ती थी दिल ये आवारा था !!
कहां आ गए समझदारी के दलदल में !!
वो नादान बचपन ही प्यारा था !!
बड़ी चोट खायी जमाने से पहले !!
जरा सोचिये दिल लगाने से पहले !!
मुहब्बत हमारी नहीं रास आई !!
लगी आग घर को बसाने से पहले !!
दादाजी ने सौ पतंगे लूटीं !!
टाँके लगे हड्डियाँ उनकी टूटी !!
छत से गिरे न बताया किसी को !!
शैतानी करके सताया सभी को !!
बचपन के किस्से सुनो जी बड़ों के !!
बचपन में किसी के पास घड़ी नही थी !!
मगर टाइम सभी के पास था !!
अब घड़ी हर एक के पास है !!
मगर टाइम नही है !!
ठहाके छोड़ आये हैं !!
अपने कच्चे घरों मे हम !!
रिवाज़ इन पक्के मकानों !!
में बस मुस्कुराने का है !!
यादे बचपन कि भूलती नहीं !!
सच्चाई से हमको मिलाती नहीं !!
जीना चाहते है हम बचपन फिर से !!
पर शरारतें बचपन कि अब हमे आती नहीं !!
ले चल मुझे बचपन की उन्हीं !!
वादियों में ए जिन्दगी !!
जहाँ न कोई जरुरत थी !!
और न कोई जरुरी था !!
स्कूल में सब होम वर्क नकल करते थे !!
बेस्ट फ्रेंड के लिए दूसरे से लड़ते थे !!
स्कूल की लड़ाई दूसरे दिन भूल जाते थे !!
फिर सभी आपस में दोस्त बन जाते थे !!
बहुत ही संगीन ज़ुर्म को !!
हम अंज़ाम देकर आए हैं !!
बढ़ती उम्र के साए से !!
कल बचपन चुरा लाए हैं !!
जिंदगी की रोज की परेशानियों !!
से कहीं अच्छे थे वो स्कूल के दिन !!
भले हम पर बंदिशें थी !!
फिर भी बड़े अच्छे थे !!
वो स्कूल के दिन !!
उम्र ने तलाशी ली तो कुछ लम्हे !!
बरामद हुए कुछ ग़म के थे !!
कुछ नम के थे कुछ टूटे !!
बस कुछ ही सही सलामत मिले !!
जो बचपन के थे !!
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Shayari on Bachpan
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो !!
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो !!
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है !!
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो !!
एक इच्छा है !!
भगवन मुझे सच्चा बना दो !!
लौटा दो बचपन मेरा !!
मुझे बच्चा बना दो !!
वो बचपन क्या था !!
जब हम दो रुपए में !!
जेब भर लिया करते थे !!
वो वक़्त ही क्या था !!
जब हम रोकर दर्द !!
भूल जाया करते थे !!
जिंदगी फिर कभी न !!
मुस्कुराई बचपन की तरह !!
मैंने मिट्टी भी जमा की !!
खिलौने भी लेकर देखे !!
घर वाले होते थे मेरी शरारतों से परेशान !!
लेकिन मुझ में ही बसती थी उनकी जान !!
मिट जाती थी उनकी हर एक थकान !!
जब देखते थे वो मेरे बचपन की मुस्कान !!
वो पूरी ज़िन्दगी रोटी !!कपड़ा !!
मकान जुटाने में फस जाता है !!
अक्सर गरीबी के दलदल में !!
बचपन का ख़्वाब धस जाता है !!
सुना है कि उसने खरीद लिया है !!
करोड़ो का घर शहर में !!
मगर आँगन दिखाने वो आज !!
भी बच्चों को गाँव लाता है !!
तेरी यादें भी मेरे बचपन !!
के खिलौने जैसी हैं !!
तन्हा होता हूँ !!
तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ !!
कॉलेज के होस्टल में खूब मस्ती की !!
होस्टल लाइफ को भी काफी अच्छे से जिया !!
कॉलेज खत्म होने के बाद !!
हर वक्त उन दिनों को याद किया !!
कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं !!
कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ !!
संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए !!
अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये !!
शहर भर में मजदूर !!
जैसे दर-बदर कोई न था !!
जिसने सबका घर बनाया !!
उसका घर कोई न था !!
बचपन में कितने रईस थे हम !!
ख्वाहिशें थी छोटी-छोटी !!
बस हंसना और हंसाना !!
कितना बेपरवाह था वो बचपन !!
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे !!
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे !!
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता !!
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे !!
जो सपने हमने बोए थे !!
नीम की ठंडी छाँवों में !!
कुछ पनघट पर छूट गए !!
कुछ काग़ज़ की नावों में !!
साइकिल से स्कूल जाते हुए मस्ती करना !!
एक-दूसरे की साइकिल को खींचते हुए लड़ना !!
बहुत ही हसीन वक्त था वो भी !!
अब तो उन यारों से बहुत कम होता है मिलना !!
Bachpan Shayari 2 line
बहुत ही संगीन ज़ुर्म को !!
हम अंज़ाम देकर आए हैं !!
बढ़ती उम्र के साए से !!
कल बचपन चुरा लाए हैं !!
झूठ बोलते थे फिर !!
भी कितने सच्चे थे !!
हम ये उन दिनों की बात है !!
जब बच्चे थे हम !!
बचपन में खूब मस्ती थी !!
पानी में कागज की कश्ती थी !!
न था कुछ खोने का डर !!
इसलिए तो जिंदगी हसीन लगती थी !!
बचपन में नहीं थी घड़ी मेरे पास !!
लेकिन समय का था खूब साथ !!
आज जो है घड़ी मेरे पास !!
लेकिन समय नहीं मेरे साथ !!
बचपन भी कमाल का था खेलते
खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन
पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी !!
कितने खुबसूरत हुआ करते थे !!
बचपन के वो दिन सिर्फ दो !!
उंगलिया जुड़ने से दोस्ती !!
फिर से शुरु हो जाया करती थी !!
रोने की वजह भी न थी न !!
हंसने का बहाना था क्यो हो गए !!
हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो !!
बचपन का जमाना था !!
चले आओ कभी टूटी !!
हुई चूड़ी के टुकड़े से !!
वो बचपन की तरह फिर !!
से मोहब्बत नाप लेते है !!
कोई तो रूबरू करवाए !!
बेखौफ बीते हुए बचपन से !!
मेरा फिर से बेवजह !!
मुस्कुराने का मन है !!
किसने कहा नहीं आती वो !!
बचपन वाली बारिश !!
तुम भूल गए हो शायद अब !!
नाव बनानी कागज़ की !!
आजकल आम भी पेड़ से खुद !!
गिरके टूट जाया करते हैं !!
छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला !!
अब बचपन नहीं रहा !!
मां मेरी आंखों में काजल लगाती थी !!
कुछ देर बाद पूरा काजल फैल जाता था !!
खुद को दर्पण में देखकर मैं डर जाता था !!
मम्मी के पिटाई से डरता था !!
मम्मी की बहुत परवाह करता था !!
पर कभी-कभी मस्ती में ही मैं !!
अक्सर मम्मी से लड़ता था !!
मां बचपन में बहन के कपड़े पहना देती थी !!
बहनों के साथ ही खेलने के लिए भेज देती थी !!
अब बहने मुझे उन दिनों को लेकर चिढ़ाती हैं !!
बात-बात पर तू मेरी बहन है बोलकर सताती हैं !!
मां की गोद पिता का कंधा !!
बड़ा ही निराला था !!
वो बचपन का फंडा !!
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Bachpan Ki Yaade Shayari
जिसमें न थी रोने की वजह !!
और हंसने का बहाना !!
न जाने कहां चला गया वो !!
बचपन का जमाना !!
याद है हमें आज भी वो !!
बचपन का जमाना !!
जब हम स्कूल न जाने !!
का बनाते थे बहाना !!
कुछ भी कहलो !!
बचपन में बड़ा सुकून था !!
बीता हुआ हर लम्हा हसीन था !!
कितनी अजीब है !!
ये उम्र की ढलान !!
जब हाथों से निकल जाती है !!
बचपन की कमान !!
बचपन में सब पूछते थे एक सवाल !!
बड़े होकर बनोगे हकीम या नवाब !!
आज सालों बाद मिला उसका जवाब !!
चाहे जो बनें बचपन खोने का रहेगा मलाल !!
बीता बचपन कितना प्यारा था !!
मां-पापा का मैं दुलारा था !!
सबकी आंखों का तारा था !!
बीता बचपन कितना प्यारा था !!
जब भी होता हूं उदास !!
मन में होती है एक ही आस !!
काश वापस लौटकर आ जाए !!
मेरे बचपन के दिन मेरे पास !!
बचपन में जब करते थे मनमानी !!
दिल में छिपी होती थी नादानी !!
जब खाते थे मम्मी से मार !!
तो याद आती थी दादी-नानी !!
खुशियों से अपनी दुनिया सजाएं !!
जहां बिना टेंशन खूब नाचे गाएं !!
अपने मन के गीत गुनगुनाएं !!
क्यों न एक बार फिर बचपन में खो जाएं !!
रिक्शेवाले का घर के बाहर आवाज लगाना !!
रोज नया बहाना कर के स्कूल न जाना !!
कुछ ऐसा ही होता था !!
बचपन में हमारा कारनामा !!
याद है बचपन की वो शैतानी !!
जब अच्छे-अच्छों को पिलाता था पानी !!
फिर खुद को बचाने के लिए बनाता था कहानी !!
इन कंधों पर बोझ अभी न बढ़ने दो !!
अभी तो यह केवल बचपन है !!
इसे जरा खुल के खिलने दो !!
जिंदगी की परेशानियों से !!
बचपन के दिन अच्छे थे !!
भले ही थी कुछ बंदिशे !!
लेकिन यकीन मानो हम !!
बच्चे ही अच्छे थे !!
जिंदगी के सफर में बढ़ना सिखा देना मां !!
जो कभी थक के हार जाऊं !! तो एक बार फिर !!
बचपन की तरह चलना सिखा देना मां !!
बचपन में अपना अलग ही याराना था !!
जिंदगी की राह में बस चलते जाना था !!
न थी सुबह की खबर !! न शाम का ठिकाना था !!
हर मुसीबत में बस हमें मुस्कुराना था !!
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Bachpan Ki Yaade
बचपन में जब लगती थी पिटाई !!
इसके बदले खाता था मिठाई !!
आज वही कहानी याद आई !!
यही तो है जिंदगी की सच्चाई !!
जब भी बैठता हूं अकेले !!
तो बचपन की याद आती है !!
सोचता हूं यही कि पल भर !!
में ये दुनिया कैसे बदल जाती है !!
अच्छाई-बुराई के बारे स्कूल में समझ आया !!
तभी आज मैं एक अच्छा इंसान बन पाया !!
किताबों से था मैंने दिल लगाया !!
अच्छे ज्ञान की वजह से कामयाब हो पाया !!
न जाने कहां खो गई !!
बचपन की वो दुनिया !!
जिसमें हर शाम मिलती थी !!
ढेर सारी खुशियां !!
जीवन चलाने के लिए खिलौनों को बेचना है !!
दिल कहता है उन खिलौनों से अब भी खेलना है !!
जिंदगी के इस दस्तूर को मुझे अभी आगे तक झेलना है !!
बचपन में केक के लिए भाइयों से लड़ता था !!
कभी-कभी फ्रिज से केक चोरी करता था !!
जब चोरी करते हुए पकड़ा जाता था !!
तब कृष्ण कन्हैया भी चोर थे कहता था !!
अभी भी याद आता है !!
वो बचपन जो बीत गया !!
जीवन में खुशियों का !!
पल उसी समय से छूट गया !!
अब तो टेंशन भरे माहौल
में गुजर जाती है शाम !!
होठों पर नहीं आती !!
अब बचपन वाली मुस्कान !!
ख़ुशी चीजो के पास में होने से नही !!
बल्कि जो पहले से मौजूद है !!
उनके बेहतर इस्तमाल से मिलती है !!
बचपन ही होता है जो बिना मतलब के !!
पलो और दोस्तों से भरा होता था !!
तेरा मेरा खूब होता था लेकिन वो !!
नखरा भी बस दो पल का होता था !!
हो चुके है मतलबी सारे रिश्ते उम्र !!
बढ़ने के साथ साथ क्युकी बचपन !!
के दिनों में हमें तेरे मेरे की परख जो नही थी !!
खेल में इतने मग्न रहते थे !!
घर जाना भूल जाते थे !!
बचपन में कभी-कभी !!
स्कूल में पढ़ाई के दौरान सो जाते थे !!
बचपन में हम बुद्धू हुआ करते थे !!
खिलौनों से भी दोस्ती कर लिया करते थे !!
खेल-खेल में ही कई बार !!
उन खिलौनों से लड़ लिया करते थे !!
बचपन में खूब नखरे करता था !!
नहीं था ऐसा कोई दिन !!
जो बिना मार खाए गुजरता था !!
बचपन में बहुत की मस्ती !!
दोस्तों ने भी साथ खूब दिया !!
एक पल आया ऐसा जब दोस्तों को छोड़ !!
मां बाप ने मुझे ही कूट दिया !!
सुबह उठकर नहाना नहीं चाहता था !!
हर दिन स्कूल जाना नहीं चाहता था !!
इसलिए स्कूल बंद हो जाए !!
ऐसी रोज भगवान से प्रार्थना करता था !!