399 + Best Alfaaz Shayari in Hindi | अनकहे अल्फ़ाज़ शायरी

हम अल्फाजो से खेलते रह गए !!
और वो दिल से खेल के चली गयी !!

एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में !!
एक आस में… एक काश… में !!

हम अल्फाजो से खेलते रह गए !!
और वो दिल से खेल के चली गयी !!

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए !!
तू आज भी बेखबर है कल की तरह !!

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दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा हो !!
जो अल्फाज से ज्यादा खामोशी को समझें !!

बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है !!
ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है !!

सिमट गई मेरी गजल भी चंद अलफ़ाजो में !!
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं !!

तुम्हारा साथ छूटने के बाद !!
बड़े हल्के से पकड़ता हूं अब मै सबकुछ !!

आँसू मेरे देख के क्यों परेसान है ए दोस्त !!
ये तो वो अलफ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके !!

ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है न !!
पढ़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है !!

एक दूरी बनाए रखनी थी !!
सबसे नजदीकियां निभाते हुए !!

एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में !!
एक आस मे एक काश में !!

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए !!
तू आज भी बेखबर है कल की तरह !!

ये जो खामोश से अलफ़ाज़ लिखे है न !!
पढ़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है !!

ये बारिश जो यूं उमड़ पड़ी है !!
लगता है तुम शहर में हो !!

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Alfaaz Shayari in Hindi

बिखेर अल्फ़ाज़ खुद को समेट लेता हूँ !!
कुछ इस तरह मैं खुश हो लेता हूँ !!

मेरे दिल से हो या तेरे दिल से हो !!
प्यार के अल्फ़ाज़ निकलने चाहिए !!

तमाम अल्फाज के.मायने ही बदल गए !!
वह अपने चेहरे पर सो गई किताब रखकर !!

जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें !!
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर !!

मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो !!
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है !!

बात ये है कि लोग बदल गए हैं !!
ज़ुल्म ये है कि मानते भी नहीं !!

कुछ इस तरह से हमारी बातें कम हो गई !!
कैसे हो पर शुरू और ठीक हो पर खत्म हो गई !!

इश्क के भी अलग ही फसाने हैं !!
जो हमारे नही हैं हम उनके ही दीवाने हैं !!

वादों की तरह इश्क़ भी आधा रहा !!
मुलाकातें कम रहीं इंतजार ज्यादा रहा !!

इश्क़ में यह बात मुझे रह रह कर खटकती है !!
दिल उसका भरा था मुझसे तो आंख मेरी क्यूं छलकती है !!

जिंदगी जला ली हमने जैसी जलानी थी !!
शाहबअब धुएं पे तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी !!

ना अनपढ़ रहे ना काबिल हुए !!
खामखां ए जिन्दगी तेरे स्कूल में दाखिल हुए !!

तकलीफ़ भी मिटी नही दर्द भी रह गया !!
पता नही आंसुओं के साथ क्या-क्या बह गया !!

आग ज़हर मौत फिर सब प्यारी लगने लगती है !!
अपनी बेचारगी भी जब बेचारी लगने लगती है !!

फासला दिल से ना हो बस यही दुआ करना !!
कभी यादों में तो कभी ख्वाबों में मिला करना !!

Alfaaz Shayari

मोहब्बत गुजरी थी कभी अपने भी करीब से !!
बड़ा महंगा था मामला संभाली ना गई मुझ गरीब से !!

जिंदगी में कुछ हसीन पल यूं ही गुजर जाते हैं !!
रह जाती हैं यादें और इंसान बिछड़ जाते हैं !!

अक्सर गुजरती हैं रातें तेरी यादों के साथ !!
अक्सर हर एक सवेरा नई आस लेकर आता है !!

उनको भी हमसे मोहब्बत हो ज़रूरी तो नही !!
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नही !!

जब तक अल्फाज मेरे महसूस ना होंगे !!
मोहब्बत के परिंदे रूह कैसे छूं पाएंगे !!

मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे !!
जिंदगी सारी इस वहम ने ले ली !!

एक उम्र कटी दो अल्फाज में !!
एक आस में एक काश में !!

मैंने नजदीकियों में खलिश देखी है !!
मैंने दूरियों में पनपता इश्क़ देखा है !!

मैंने कब कहा की मिल जाए वो मुझे !!
गैर ना हो जाए बस इतनी सी हसरत है !!

मेरी बेतुकी सी बातों पर वो हंसता बहुत था !!
एक शख़्स मेरी खुशी के लिए जिन्दगी से लड़ता बहुत था !!

अल्फ़ाज़ के दिवाने तो लाखों हैं मेरे !!
तलाश तो खामोशी पढने वाले की है !!

मत देख वो शख्स गुनहगार है कितना !!
ये देख की तेरे साथ वफादार है कितना !!

काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर !!
वो आके गले लगा ले मेरी इजाज़त के बगैर !!

शिकायत नही जिंदगी से की तेरा साथ नही !!
बस तू खुश रहना यार हमारी कोई बात नही !!

आधे यहां आधे वहां रखे हैं !!
ये ख्याल तुम्हारे जाने कहां कहां रखे हैं !!

अनकहे अल्फ़ाज़ शायरी

जिस बात से दिल डरता था वो हो गई !!
कुछ दिन के लिए क़िस्मत जागी थी अब सो गई !!

जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें !!
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर !!

हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो !!
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो !!

जब गिला शिकवा अपनो से हो तो खामोशी भली !!
अब हर बात पर जंग हो जरूरी तो नही !!

खामोशियाँ ही बेहतर हैं !!
लफ़्ज़ों से लोग रूठ जाते हैं !!

दिल्लगी कर ज़िन्दगी से दिल लगा कर चल !!
ज़िन्दगी है थोड़ी थोड़ा मुस्कुरा के चल !!

रुतबा तो खामोशियों का होता है अल्फाजों का !!
क्यावो तो बदल जाते हैं अक्सरहालात देखकर !!

तुझसे दूर जाने का कोई इरादा न था !!
पर रुकते आखिर कैसे जब तू ही हमारा न था !!

खता हो ना हो मै माफी मांग लेता हूं !!
लफ्ज़ खर्च हों तो हों पर शख्स बच जाए !!

इतनी ठोकर देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी !!
चलने का ना सही संभलने का हुनर तो आ गया !!

रफ़्तार कुछ इस कदर तेज हुई है ज़िन्दगी की !!
कि सुबह का दर्द शाम को पुराना हो जाता है !!

ख़ता मत गिन कि कितना गुनाह किसने किया !!
वो इश्क़ का नशा था मैंने भी किया तूने भी किया !!

इक रात वो जहाँ गया था बात रोक कर !!
अब तक बैठा हूँ वही वो रात रोक कर !!

सफ़र में कहीं तो दगा खा गए हम !!
के जहां से चले थे वापस वहीं आ गए हम !!

ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है !!
जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है !!

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किस तरह से सुलह करूं उससे !!
झगड़ा भी तो नही हुआ हमारा !!

इन खाली खिड़कियों पर बरसती उन बूंदों की भीड़ !!
समझ नही आता ये शाम बरस रही है या रो रही है !!

सुना है उन्होंने इरादा किया है खामोश रहने का !!
हम भी देखें हमारी मोहब्बत में असर कितना है !!

अब ये न पूछना के मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ !!
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ !!

खत्म हो गयी कहानी बस कुछ अलफाज बाकी हैं !!
एक अधूरे इश्क की एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है !!

वो थे न मुझसे दूर न मै उनसे दूर था !!
आता न था नज़र तो नज़र का कुसूर था !!

तुम्हारी याद के जब ज़ख्म भरने लगते हैं !!
किसी बहाने तुम्हे याद करने लगते हैं !!

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा !!
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा !!

तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी !!
किसी के पांव से कांटा निकालकर देखो !!

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है !!
वजह कोई मजबूरी भी हो सकती है !!

भरी है जो दिल में हसरत कहूं तो किससे कहूं !!
सुने है कौन मुसीबत कहूं तो किससे कहूं !!

अंधेरे में भी एक दुनिया है आबाद !!
आंखों को अपनी बंद करके तो देखो !!

रहने दिया ना उसमे किसी काम का मुझे !!
और ख़ाक में भी मुझको मिलाकर नही गया !!

हर नजर से बचकर वो मुझपे नज़र रखता है !!
एक शख्स है जो मेरी हर खबर रखता है !!

मैंने उसे प्यार किया है मिल्कियत का दावा नही !!
वो जिसके भी साथ है मै उसको भी अपना मानता हूं !!

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Alfaz in hindi

जानता हूं के तुझे साथ तो रखते हैं कई !!
पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता हैं कोई !!

आँसू मेरे देख के क्यों परेसान है ए दोस्त !!
ये तो वो अलफ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके !!

ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है न !!
पढ़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है !!

एक दूरी बनाए रखनी थी !!
सबसे नजदीकियां निभाते हुए !!

अलफ़ाज़ चुराने कीहमें जरुरत ही ना पड़ी कभी !!
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने वे हतासा लफ्ज दिए !!

अल्फ़ाज़ थक से गए हैं दर्द बयाँ करते करते !!
आज मेरी ख़ामोशी ने अल्फ़ाज़ की जगह ली है !!

मेरी बेतुकी सी बातों पर वो हंसता बहुत था एक शख़्स !!
मेरी खुशी के लिए जिन्दगी से लड़ता बहुत था !!

शायद इश्क अब उतर रहा है सर से !!
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए !!

अल्फ़ाज़ के दिवाने तो लाखों हैं मेरे !!
तलाश तो खामोशी पढने वाले की है !!

मत देख वो शख्स गुनहगार है कितना !!
ये देख की तेरे साथ वफादार है कितना !!

अक्सर अल्फ़ाज़ खामोश हो जाते हैं !!
वहा जहा बाते निगाहों से शुरु होती हैं !!

उनके आने से आ जाती है मेरे चेहरे पे रौनक !!
और वो समझते हैं कि मेरा हाल अच्छा है !!

तुम्हे सोचा तो हर सोच से खुशबू आई !!
तुम्हे लिखा तो हर अलफ़ाज़ महकता पाया !!

प्यार की तरह आधे अधूरे से अल्फाज थे हम !!
तुमसे क्या जुड़े जिंदगी पूरी तरह गजल बन गई !!

तुम्हे सोचा तो हर सोच से खुशबू आई !!
तुम्हे लिखा तो हर अलफ़ाज़ महकता पाया !!

Alfaz quotes in hindi

उठा के कलम कुछ यूं लिखा है उसे !!
मैंने दर्द नही हर अल्फाज़ मे लिखा है उसे !!

हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला !!
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले !!

एक साथ चार कंधे देखकर जहन में आया !!
एक ही काफी था गर जीते जी मिला होता !!

फासले रख के क्या हासिल कर लिया तूने !!
रहती तो आज भी तू मेरे दिल में ही है !!

कुछ उसे भी दूरियाँ पसंद थीं !!
और कुछ मैंने भी वक़्त मांगना छोड़ दिया !!

खता हो जाती है जज़्बात के साथ !!
प्यार उनका याद आता है हर बात के साथ !!
खता कुछ नहीं बस प्यार किया है !!
उनका प्यार याद आता है हर अलफ़ाज़ के साथ !!

न अहसास बचे हैं !!
न अल्फ़ाज़ बचे हैं !!
खो गयी है मुस्कान !!
बस राज़ बचे हैं !!

चलो माना कि हमें प्यार !!
का इज़हार करना नहीं आता !!
जज़्बात न समझ सको !!
इतने नादान तो तुम भी नहीं !!

शायर है हम शराबी नहीं !!
जब तक चाय नहीं पीते !!
अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते !!

मत लगाओ बोली !!
अपने अल्फ़ाज़ों की !!
हमने लिखना शुरू किया !!
तो तुम नीलाम हो जाओगे !!

अब ये न पूछना की मैं !!
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ !!
कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के !!
कुछ अपनी सुनाता हूँ !!

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है !!
मोहब्बत के लिए !!
फिर एक दूसरे से रूठकर !!
वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है !!

डाल दो अपनी दुआ के !!
चंद अल्फाज मेरी झोली में !!
क्या पता आपके लब हीले !!
और मेरी जिंदगी बदल जाए !!

अल्फ़ाज़ नही मिले
ससे मिलने के बाद !!
अपने दिल का हाल !!
कहे बिना ही लौट आया !!

वह जो औरों को बताती है !!
जीने के तरीके !!
खुद अपनी मुट्ठी मेँ !!
मेरी जान लिए बैठी है !!

Dil ke alfaaz shayari

तेरी याद तेरी चाहत शायरी !!
के अल्फाज बन गए !!
भरी महफिल में लोग मेरे !!
दर्द को भी वाह वाह कह गए !!

न अहसास बचे हैं !!
न अल्फ़ाज़ बचे हैं !!
खो गयी है मुस्कान !!
बस राज़ बचे हैं !!

अल्फ़ाज़ों में क्या बयां करें !!
अपनी मोहब्बत के अफ़साने !!
हमारे में तो तुम ही हो !!
तुम्हारे दिल की खुदा जाने !!

वो कहते हैं !!
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल !!
हमने कहा बस !!
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं !!
प्यार का इज़हार करने के लिए !!

दिल के जज्बातों को अल्फाजों !!
में बयाँ करना पड़ता है !!
अब वो मोहब्बत नहीं जो !!
जज्बातों को समझ सके !!

चलो माना कि हमें प्यार !!
का इज़हार करना नहीं आता !!
जज़्बात न समझ सको !!
इतने नादान तो तुम भी नहीं !!

शायर है हम शराबी नहीं !!
जब तक चाय नहीं पीते !!
अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते !!

अब ये न पूछना के मैं !!
अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ !!
कुछ चुराता हूँ !!
दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ !!

मत लगाओ बोली !!
अपने अल्फ़ाज़ों की !!
हमने लिखना शुरू किया !!
तो तुम नीलाम हो जाओगे !!

मेरे लब्जो ने आज फिर !!
ये कैसी शरारत की है !!
नैनो से तुझको खोजा मगर !!
अल्फाजों से गुस्ताखी की है !!

फासले रख के क्या !!
हासिल कर लिया तूने !!
रहती तो आज भी !!
तू मेरे दिल में ही है !!

मेरी शायरी का असर उन !!
पर हो भी तो कैसे हो !!
के मैं अहसास लिखता हूँ !!
वो अल्फाज़ पड़ते हैं !!

जब अलफ़ाज़ !!
पन्नो पर शोर करने लगे !!
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं !!

अब ये न पूछना की मैं !!
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ !!
कुछ चुराता हूँ दर्द दुसरो के !!
कुछ अपनी सुनाता हूँ !!

दोस्तों से रिश्ता रखा करो !!
जनाब तबियत मस्त रहेगी !!
ये वो हकीम हैं जो !!
अल्फ़ाज़ से इलाज कर दिया करते हैं !!

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Do alfaaz shayari

न चाकू न खंजर !!
न तलवार कर सकेंगे !!
रकीब के दिल में घाव !!
मेरे लिखे अल्फाज़ करेंगे !!

सभी तारीफ करते हैं !!
मेरे तहरीर की लेकिन !!
कभी कोई नहीं सुनता !!
मेरे अलफ़ाज़ की सिसकियाँ !!

अल्फ़ाज़ चुराने की हमें !!
जरुरत ही ना पड़ी कभी !!
तेरे बेहिसाब ख्यालों !!
ने बेहतासा लफ्ज दिए !!

अल्फ़ाज़ थक से गए हैं !!
दर्द बयाँ करते करते !!
आज मेरी ख़ामोशी ने !!
अल्फ़ाज़ की जगह ली है !!

हां याद आया !!
उसका आखरी अलफ़ाज़ यही था !!
जी सको तो जी लेना !!
लेकिन मर जाओ तो बेहतर है !!

शायद इश्क अब !!
उतर रहा है सर से !!
मुझे अलफ़ाज़ नहीं !!
मिलते शायरी के लिए !!

आ लिख दूँ कुछ तेरे बारे में !!
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है !!
खुद को मेरे अल्फाजो में !!

अक्सर अल्फ़ाज़ !!
खामोश हो जाते हैं वहा !!
जहा बाते निगाहों से शुरु होती हैं !!

उनके आने से आ जाती है !!
मेरे चेहरे पे रौनक !!
और वो समझते हैं !!
कि मेरा हाल अच्छा है !!

प्यार की तरह आधे अधूरे !!
से अल्फाज थे हम !!
तुमसे क्या जुड़े जिंदगी !!
पूरी तरह गजल बन गई !!

बाक़ी ही क्या रहा है !!
तुझे माँगने के बाद !!
बस इक दुआ में !!
छूट गए हर दुआ से हम !!

अलफ़ाज़ चुराने की !!
हमें जरुरत ही ना पड़ी कभी !!
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने !!
वे हतासा लफ्ज दिए !!

वो कहते हैं !!
कैसे बयां करे हम अपना हाल-ए-दिल !!
हमने कहा बस !!
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं !!
प्यार का इज़हार करने के लिए !!

यूँ ना समझ पाओगे !!
अल्फाज़ो को मेरे !!
मेरी शायरियां समझने के लिए !!
दिल तुड़वाना पड़ता हैं !!

वो सुना रहे थे !!
अपनी वफाओ के किस्से !!
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए !!

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अल्फ़ाज़ उतने झूठ न !!
कह सके आज तक !!
जितने सच आंखें एक !!
नज़र भर में कह गयीं !!

तमाम उम्र गुजार देगें !!
हम राह-ए-इंतजार में !!
झूठा ही सही पर !!
आने का एक वादा तो कर दे !!

मेरे अल्फाज भी खामोश !!
हो जाते हैं कभी कभी !!
स्याही बिखरती है मगर !!
एहसास रह जाते हैं कभी कभी !!

माना की तुझसे दूरियां !!
कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है !!
पर तेरे हिस्से का वक्त !!
आज भी तन्हा गुजरता है !!

बिखरे पड़े हैं हर्फ कई !!
तू समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे !!
जोड़ दे बिखरे पन्ने को !!
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे !!

वो ढूंढते हैं इश्क मेरे !!
अल्फ़ाज़ के दायरों में !!
नहीं समझते कि !!
खामोश मोहब्बत क्या है !!

जिसे खोने का डर !!
हमें सबसे ज्यादा होता है !!
उसे एक दिन हम खो ही देते हैं !!

मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ !!
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ !!
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे !!
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ !!

दिल की बात अल्फ़ाज़ों !!
से किया करता हूँ !!
लोगों की जुबां पे नहीं !!
दिलों में रहा करता हूँ !!

चीज जिसे दिल कहते हैं !!
भूल गए हैं रख कर कहीं !!
एहसास जिसे प्यार कहते हैं !!
भूल गए हैं वो दफना के कहीं !!

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं !!
मोहब्बत बयान करने के लिए !!
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते !!
वो अलफ़ाज़ क्या समझेगेे !!

रुतबा तो खामोशियों !!
का होता है मेरे दोस्त !!
अलफ़ाज़ तो बदल जाते है !!
लोगों को देखकर !!

बिखरे पड़े हैं हर्फ कई तू !!
समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे !!
जोड़ दे बिखरे पन्ने को !!
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे !!

मैं ख़ामोशी तेरे मन की !!
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा !!
मैं एक उलझा लम्हा !!
तू रूठा हुआ हालात मेरा !!

यहाँ अलफ़ाज़ की तलाश में !!
न आया करो यारो !!
हम तो बस एहसास लिखते हैं !!
महसूस किया कीजिये !!

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कमाल की चीज है !!
ये मोहब्बत अधूरी हो सकती है !!
पर कभी खत्म नही हो सकती !!

खत्म हो गयी कहानी !!
बस कुछ अलफाज बाकी हैं !!
एक अधूरे इश्क की !!
एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है !!

ना अल्फाज झूठे होते है !!
ना शब्दो के अंदाज झूठे होते है !!
लिख हुई हर बात में !!
कुछ सच्चे जज्बात छुपे होते है !!

आंखे थक गई हैं !!
आसमान को देखते देखते !!
पर वो तारा नही टूटता !!
जिसे देखकर तुम्हे मांग लूं !!

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो !!
कौन जाने कौन सी शायरी आखरी हो जाए !!
ये चेहरा ये रौनक ढल ही जाएंगे एक उम्र के बाद !!
हम मिलते रहेंगे ताउम्र यूँ ही अल्फ़ाज़ों के साथ !!

ये लिखे हुए अल्फाज ही तो !!
मुझे मेरे होने का सबूत देते है !!
वरना इस रूह को अपने !!
रूह की खबर कहाँ !!

कुछ अल्फाज के !!
सिलसिले से बनती है शायरी !!
और कुछ चेहरे अपने !!
आप में पूरी गजल होते हैं !!

कभी मोहब्बत करने का दिल !!
करे तो ग़मों से करना मेरे दोस्त !!
सुना है !! जिसे जितनी मोहब्बत करो !!
वो उतना ही दूर चला जाता है !!

लिखे हुए अल्फाज तो !!
सभी पढ़ते है साहब !!
कोई खामोशी समझने !!
वाला भी चाहिए !!

महसूस करोगे तो कोरे !!
कागज पर भी नज़र आएंगे !!
हम अल्फ़ाज़ हैं !!
तेरे हर लफ्ज़ में ढल जाएंगे !!

कैसे बयां करूं अल्फाज नहीं है !!
दर्द का मेरे तुझे एहसास नहीं है !!
पूछते हो मुझसे क्या दर्द है !!
मुझे दर्द ये ही कि तू मेरे पास नहीं है !!

खामोशी को चुना है !!
अब बाकी है सफर के लिए !!
अब अल्फाजोंको जाया !!
करना हमें अच्छा नहीं लगता !!

इस तरह भी होता है इश्क आजमाकर !!
तो देख बिना मिले उम्र भर चलता है !!
सिलसिला निभा कर तो देख !!

मुझे तुझसे कोई शिकवा या शिकायत नही !!
शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नही है !!
मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गया !!
मैने पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट नही है !!

तमन्ना जब किसी की नाकाम होती है !!
जिंदगी उसकी एक उदास शाम होती है !!
दिल के साथ दौलत ना हो जिसके पास !!
मोहब्बत इस गरीब की नीलाम होती है !!

कशिश तो बहुत है मेरे प्यार में !!
लेकिन कोई है पत्थर दिल जो पिघलता नही !!
अगर मिले खुदा तो मांग लूंगा उसको !!
पर सुना है खुदा मरने से पहले मिलता नही!!

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